सम्वत् २०७६ का साम्वत्सरिक राशिफल
सम्वत्
२०७६
का साम्वत्सरिक
राशिफल एवं कुछ अन्य खास बातें
:-----
सम्वत्
२०७६
का नया पंञ्चाग
दिनांक
६
अप्रैल
२०१९
से लागू हो गया
है,
जो
आगामी २४
मार्च
२०२० तक जारी रहेगा ।
आंग्ल
नववर्ष (कैलेन्डर
इयर)
प्रारम्भ
होने के बाद कई बन्धुओं ने
आग्रह किया था राशिफल पोस्टिंग
के लिये,
किन्तु
पुराने सम्पर्की बन्धु जानते
हैं कि मैं साम्वत्सरिक राशिफल
ही पोस्ट करता हूँ। हर वर्ष
की भांति इस बार भी वार्षिक
(साम्वत्सरिक)
राशिफल
प्रस्तुत किया जा रहा है।
किन्तु इससे पूर्व नये सम्वत्
के सम्बन्ध में कुछ खास बातें
जानने योग्य हैं,
जिन्हें
यहां प्रस्तुत कर रहा हूँ।
वर्ष
के प्रारम्भ में ‘परिधावी’
नामक सम्वत्सर रहेगा,
किन्तु
वैशाख
शुक्ल सप्तमी,शनिवार,
दिनांक
११
मई २०१९
को (गया
समयानुसार)
दिन
में १ बजकर १४
मिनट से ‘प्रमादी’
नामक सम्वत्सर का प्रवेश हो
जायेगा,
परन्तु
वर्ष पर्यन्त संकल्पादि में
‘परिधावी’
नामक
सम्वत्सर का ही प्रयोग करना
चाहिए,
क्यों
कि नियम है कि वर्षप्रवेश में
जो नामधारी है,
वही
आगे भी संकल्पित होना चाहिए।
ऐसा प्रायः हर वर्ष ही होता
है।
इस
सम्वत् २०७६
के प्रवेश के साथ-साथ
कलियुग का ५१२०
वर्ष
व्यतीत हो जायेगा। प्रत्येक
सम्वत्सर के एक राजा और मंत्री
हुआ करते हैं,
जिनके
स्वभावानुसार प्रजाजन
सुख-दुःखादि
भोग करती है। इस सम्वत्सर के
राजा शनि और मंत्री
सूर्य हैं ।
ये
गत सम्वत् के ठीक विपरीत स्थिति
है। भले
ही पिता-पुत्र
का सम्बन्ध है इन दोनों में,
किन्तु
ग्रहमैत्रीचक्रानुसार परस्पर
शत्रुभाव है,परिणामतः
शासकों में भी परस्पर मतान्तर
बहुल,
विरोधी
स्थिति देखी जा सकती है। एक
दूसरे के प्रति अविश्वास की
भावना बनी रहेगी,
जिससे
राष्ट्र के सम्यक कल्याण में
बाधायें आयेंगी । जगल्लग्न
के अनुसार इस
बार भी लग्नेश
बुध
ही हैं।बुध
के
सप्तम स्थान में यानी नीचराशिगत
होने के कारण वैश्विक
स्तर पर राष्ट्र की प्रतिष्ठा
और वर्चश्व का संकेत तो
है,
किन्तु
यदाकदा किंचित पड़ोसी राष्ट्रों
से तनावपूर्ण वातावरण भी बना
रह सकता है। हालाकि
राष्ट्र
का उत्तरोत्तर विकास दीख रहा
है। प्रशासनिक व्यवस्था पहले
की अपेक्षा चुश्तदुरुस्त
होने के आसार हैं। फिर
भी प्रशासन के प्रति जनाक्रोश
देखा जायेगा,क्यों
कि अफसरशाही
का बोलबाला भी रहेगा । विदेशी
राजनयिकों की भारत यात्रा की
सम्भावना में वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय
राजनैतिक दलों में आपसी खींचतान
की स्थिति से अान्तरिक कलह
की स्थिति प्रायः बनी रहेगी
। सैन्य-शक्ति
का भी विकास होगा। अन्तरिक्षीय
अनुसंधान कार्य में आशातीत
प्रगति होने की सम्भावना है।
विश्व
बाजार में भारत की स्थिति पहले
से भी सुदृढ़ होगी । अनेक
राष्ट्रों
से नये सम्बन्ध स्थापित होंगे
। वर्षलग्नानुसार
इस
वर्ष कर्कलग्न में वर्ष का
प्रवेश हो रहा है,
जिसके
अधिपति चन्द्रमा त्रिकोणस्थ
और मित्रगृही हैं ,जो
प्रशासनिक सुधार और सीमा-सुरक्षा
का संकेत दे रहा है । पर्यटकों
के विशेष आगमन से विदेशी मुद्रा
का आवक होगा,जिससे
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को
बल मिलेगा । यातायात और परिवहन
का भी प्रचुर विकास होगा।
राष्ट्रीय आयात-निर्यात
में भी वृद्धि होगी । विभिन्न
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों
का भारत में केन्द्रीकरण होगा
।
आर्द्राप्रवेशांक
के विचार से (वर्षा-विचार
के अनुसार)
एक
ओर उत्तम वृष्टि-योग
दीख रहा है,तो
दूसरी ओर जलप्लावन और कहीं-कहीं
सुखाड़ जैसी स्थिति भी हो सकती
है। फिर
भी कुल मिलाकर कहा जा सकता है
कि बर्षा अच्छी होगी । खरीफ
की फसल पूर्व की अपेक्षा अच्छी
होगी,किन्तु
रबी का उत्पादन किंचित न्यून
हो सकता है। किंचित प्राकृतिक
आपदायें भी देश को झेलनी पड़
सकती हैं,जिससे
कृषि,
खनिज
तथा रासायनिक पदार्थों को
नुकसान होगा।
फलों
और सब्जियों का उत्पादन भी
अच्छा होगा ।
सम्वत्
२०७६
में
विश्व में कुल तीन
ग्रहण होंगे-
दो
सूर्यग्रहण एवं एक
चन्द्र
ग्रहण,जिसमें
भारतवर्ष में एक सूर्यग्रहण
और एक चन्द्रग्रहण
ही दृश्य होगा। ये खण्डग्रास
चन्द्रग्रहण आषाढ़ पूर्णिमा
मंगलवार
१६/१७
जुलाई २०१९
को मानक समयानुसार रात्रि एक
बजकर
इकतिस
मिनट से रात्रि चार
बजकर तीस
मिनट तक होगा। दूसरा
दृष्यमान सूर्यग्रहण पौषकृष्ण
अमावस्या गुरुवार २६
दिसम्बर २०१९
को दिन
में आठ बजे से ग्यारह बजकर
चौदह मिनट तक होगा । ये सूर्यग्रहण
भारत के अधिकांश भागों में
खण्डग्रास के रुप में दीखेगा,तो
किंचित भागों में कंकणाकृति
रुप में ।
अब
यहां आगे क्रमशः मेषादि बारहों
राशि के जातकों के लिए संक्षिप्त
राशिफल प्रस्तुत किया जा रहा
है।
आमतौर पर सीधे अपनी राशि जानकर
फल देख लेने की परम्परा है;
किन्तु
इस सम्बन्ध में मैंने पिछली
बार भी कहा था,पुनः
स्मरण दिला रहा हूँ— फल-विचार
सिर्फ राशि से न करके,
लग्न
से भी करें। जैसे -
मेरी
राशि कुम्भ है और लग्न सिंह
। सटीक फल विचार के लिए राशिफल-विवरण
में दिए गये दोनों फलों का
विचार करके निश्चय करना चाहिए
। मान लिया कुम्भ राशि का फल
उत्तम है,
किन्तु
सिंह लग्न का फल प्रतिकूल है
। ऐसी स्थिति में निश्चयात्मक
परिणाम मध्यम होगा ।
दूसरी
बात ध्यान देने योग्य यह है
कि आपके नाम का प्रभाव भी
सामान्य जीवन में काफी हद तक
पड़ता है। हमारे यहां विधिवत
नामकरण-संस्कार
की परम्परा थी । नाम सार्थक
हुआ करते थे,
उनका
निहितार्थ हुआ करता था;
किन्तु
अब तो इंगलैंड-अमेरिका
के कुत्ते-विल्लयों
का नाम हम अपने बेटे-बेटियों
का रखकर गौरवान्वित होते हैं
। नियमतः नाम के प्रथमाक्षर
के अनुसार बनने वाली राशि के
फल का भी विचार कर लेना चाहिए
। इस प्रकार त्रिकोणीय दृष्टि
से राशिफल-विचार
करना सर्वोचित है ।
एक
और,सर्वाधिक
महत्त्वपूर्ण तथ्य,
जिसे
लोग प्रायः नजरअंदाज कर देते
हैं— व्योम-मण्डल
में सत्ताइस नक्षत्र और बारह
राशियों के परिक्रमा-पथ
पर विचरण करते हुए सूर्यादि
नवग्रह (ध्यातव्य
है कि अरुण,
वरुण,
यम
को प्राचीन भारतीय ज्योतिष
में स्थान नहीं है)
भूमण्डलीय
समस्त पद-पदार्थों
को प्रभावित (नियन्त्रित)
कर
रहे हैं। विश्व की आबादी सात
अरब से भी अधिक की है। इन्हें
मात्र बारह भागों में विभाजित
करके किसी ठोस फलविचार /
निर्णय
पर पहुँचना कितना बचकाना
(नादानी)
हो
सकता है?
सिर्फ
राशि वा लग्न के आधार पर मनुष्य
मात्र को बांट देना क्या सही
और समुचित नियम हो सकता है?
आपका
उत्तर भी ‘कदापि नहीं’ ही
होगा। आर्थिक,सामाजिक,
राजनैतिक,
धार्मिक,
शारीरिक,
मानसिक
आदि कई मापदण्ड होंगे इन्हें
प्रभावित करने हेतु । इसके
साथ ही अलग-अलग
व्यक्तियों के जन्मकालिक
ग्रहों की स्थिति,
तथा
वर्तमान (गोचर)
स्थिति
आदि कई बातों पर किसी व्यक्ति
का वर्तमान और भविष्य आधृत
होता है । राशि तो मात्र जन्मकालिक
चन्द्रमा की स्थिति को ईंगित
करता है और लग्न जन्मकालिक
कक्षों (भावों)
की
सांख्यिकी मात्र है। अतः
फलविचार कितना सार्थक-कितना
निरर्थक हो सकता है,
आप
स्वयं समझ सकते हैं। पुनः यह
कहना आवश्यक नहीं रह जाता कि
राशिफल के आधार पर अपने जीवन
को आशा-निराशा,
प्रसन्नता-अप्रसन्नता
के झूले में हिचकोले खाने से
बचावें और अपना तात्कालिक
कर्म यथोचित रीति से करने का
प्रयास करें। अस्तु।
सुविधा
के लिए ‘अबकहा चक्र-सारणी’
भी राशिफल के साथ प्रस्तुत
है । इससे उन लोगों को भी लाभ
होगा,
जिन्हें
अपनी राशि और जन्म-समय
आदि की सही जानकारी नहीं है।
विक्रम
सम्वत् २०७६,शकाब्द
१९४१,खृष्टाब्द
२०१९-२०२०
{
६
अप्रैल २०१९
से २४
मार्च
२०२०
तक
का राशिफल
}
बारह
राशियों का क्रमानुसार फल-विचार
१.मेष
राशि-
(चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ)
-
मेष
राशि वाले लोगों के लिए यह
वर्ष (संवत्)सामान्य
सुखकारी होगा । कार्य सिद्धि
में गति धीमी रहेगी । सन्तोषजनक
विकास-कार्य
नहीं हो पायेंगे । पूर्व संचित
धनराशि का अकारण व्यय हो सकता
है । अकारण वाद-विवाद
की स्थितियों का सामना करना
पड़ सकता है । वालवृन्द की
तरक्की सामान्य होगी ।
भूमि-भवन-वाहनादि
क्रय व निर्माण कार्य में
सावधानी वरतनी चाहिए ।
माता-पिता
के साथ भी अकारण मतभेद होसकते
हैं । मेषराशि जातक विद्यार्थियों
के लिए भी समय बहुत अनुकूल
नहीं दीखता । आर्थिक स्थिति
में काफी उतार-चढ़ाव
की आशंका है । वैवाहिक जीवन
सुखद रहना चाहिए । व्यापार
के क्षेत्र में नये कार्य की
योग दीख रहा है । नौकरी पेशा
वालों को विशेष संघर्ष करना
पड़ सकता है । वर्ष का तीसरा,सातवां
और नौवां महीना अनिष्टकर है
।ध्यातव्य
है कि महीनों की गणना हिन्दी
चान्द्रमास यानी चैत्र,वैशाख
आदि करें। न कि जनवरी-फरवरी।
मेष राशि और मेष लग्न वाले
लोगों के लिए लाल चन्दन का
तिलक लगाना लाभ दायक होगा।
अपने आराध्यदेव की उपासना
नियमित करते रहें। इससे ग्रहजनित
बाधाओं में शान्ति मिलेगी।
साथ ही जन्म कुण्डली के अनुसार
भी महादशा एवं अन्तर्दशापतियों
की शान्ति के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि पूर्ण सफलता लब्ध
हो सके। अस्तु।
२.वृष
राशि-
(ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो)-
वृष
राशि वालों के लिए यह संवत्
सामान्यतया शुभदायक रहेगा।
ध्यातव्य है कि शनि की
लघुकल्याणी(अढ़ैया)का
प्रभाव गत
सम्वत से ही जारी है,इसके
फलस्वरुप व्यर्थ की
चिन्ता,भागदौड़,परेशानी,आर्थिक
क्षति,पारिवारिक
कलह-विवाद,मित्रों
से वैर आदि का सामना करना पड़
सकता है।
।
आर्थिक
मामलों में सोच-समझ
कर निर्णय लेना चाहिए ।
भूमि-भवन-वाहनादि
के लिए समय अनुकूल प्रतीत हो
रहा है । माता-पिता
की सेवा करना और सलाह का सौभाग्य
लेना चाहिए । सामाजिक मानापमान
के प्रति सजग रहने की आवश्यकता
है। प्रेम-सम्बन्धों
में सावधानी वरतनी चाहिए,अन्यथा
काफी परेशानी हो सकती है।
वैवाहिक जीवन में सामान्य
समस्याओं का सामना करना पड़
सकता है। सन्तान-सुख
का लाभ मिलना चाहिए । न्यायिक
मामलों में प्रगति धीमी रहेगी
। अध्ययन-अध्यापन
में किंचत बाधायें आ सकती हैं।
बालवृन्द को शारीरिक कष्ट की
आशंका रहेगी।
विरोधियों
का शमन होगा। शत्रु पराजित
होंगे। किन्तु दूसरी ओर अकारण
मित्रों से विरोध भी हो सकता
है। नेत्र विकार जनित परेशानी
का विशेष सामना करना पड़ सकता
है। व्यापार के क्षेत्र में
कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना
करना पड़ सकता है। नौकरीपेशा
लोगों को किंचित अतिरिक्त
भार बहन करना पड़ सकता है।
शेयर,सट्टे
आदि से जुड़े लोगों को सावधानी
पूर्वक निर्णय लेने की आवश्यकता
है। वाहन चालकों को जरा सावधान
रहना चाहिए। दुर्घटना होने
की आशंका अधिक है। पूर्वार्द्ध
की अपेक्षा वर्ष का उत्तरार्द्ध
अधिक उलझन पूर्ण हो सकता है।
वर्ष के
चौथे,छठे
और बारहवें
महीने
कष्टप्रद होगें।
अशुभ फलदायी होने के कारण इन
महीनों में किसी तरह की नयी
योजना न बनायें। शिव की आराधना
से विशेष लाभ होगा। शनि की
प्रसन्नता हेतु यथासम्भव
सामान्य आराधना(दीपदान,पीपल-दर्शन,जल
दानादि)
शनिवार
को अवश्य करें। शनिस्तोत्र
का पाठ करना लाभदायक होगा।
संस्कृत का जिन्हें अभ्यास
नहीं है,
वे
लोग शनि-चालीसा
का पाठ भी कर सकते हैं। अभिमन्त्रित
किया हुआ छतिवन की जड़ या छाल
ताबीज में भर कर धारण करें।
तत्काल शान्ति मिलेगी। साथ
ही अपने आराध्यदेव की उपासना
नियमित रुप से करते रहें। इससे
ग्रह जनित बाधाओं में शान्ति
मिलेगी। जन्म कुण्डली के
अनुसार महादशा एवं अन्तर्दशापतियों
की शान्ति के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि विशेष लाभ हो सके।
अस्तु।
३.मिथुन
राशि-
(का,की,कु,घ,ङ,छ,के,को,हा)-
मिथुन
राशि वालों के लिए यह संवत्सर
अपेक्षाकृत विशेष
शुभदायक
रहेगा। उन्नति
के नये मार्ग खुलने के आसार
दीख रहे हैं । आर्थिक
विकास के नये आयाम बन सकते हैं
। सम्पत्ति अर्जन का योग भी
दीख रहा है । नये और प्रतिष्ठित
व्यक्तियों का साथ और सहयोग
मिल सकता है । प्रेम सम्बन्धों
में दृढ़ता आयेगी । अध्ययन-अध्यापन
में किंचित
बाधायें आ सकती हैं। स्वास्थ्य
सम्बन्धी बाधायें भी झेलनी
पड़ सकती हैं । बालवृन्द
को शारीरिक कष्ट की आशंका
रहेगी।
परिवार
में मांगलिक कार्य-
विवाहादि
की योजना बन सकती है। तीर्थयात्रा
के भी संयोग दीख रहे हैं।
धार्मिक कृत्यों में भाग लेने
के अवसर भी बनेंगे। व्यापारी
वर्ग को पूर्व की अपेक्षा अधिक
लाभ होने की सम्भावना है।
विद्यार्थियों के लिए ये वर्ष
उत्तम प्रतीत हो रहा है। वर्ष
के चौथे,पांचवें
और नौवें
महीने अशुभ फलदायी हैं। अतः
इन महीनों में कोई नयी कार्ययोजना
बनाने और उस पर पहल करने से
परहेज करें। कटहल का पका हुआ
फल मौसम में उपलब्ध हो तो एक-दो
बार अवश्य खा लें। कटहल की
पत्तियों पर लड्डुगोपाल की
मूर्ति को स्थापित कर नित्य
पूजन करें। आशातीत लाभ होगा।
जन्मकुण्डली के अनुसार महादशा
एवं अन्तर्दशापतियों की शान्ति
के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि विशेष लाभ हो सके।
अस्तु।
४.कर्क
राशि -
(ही,हू,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो)-
कर्क
राशि के जातकों के लिए यह संवत्
सामान्य शुभदायक रहेगा। विशेष
आर्थिक लाभ की सम्भावना नहीं
है । शारीरिक स्वास्थ्य में
भी उतार-चढ़ाव
की स्थिति बनी रहेगी । पूर्व
से चली आ रही (पुरानी)
बीमारी
में किंचित सुधार की सम्भावना
है । विरोधियों का बोलबाला
रह सकता है । अकारण वाद-विवाद
की स्थिति का सामना करना पड़
सकता है। व्यर्थ के भागदौड़
और आर्थिक दबाव के कारण मानसिक
स्थिति तनावपूर्ण रह सकती है
। पारिवारिक सुख-शान्ति
सामान्यतया सही रहेगा ।
भाई-बन्धुओं
की उन्नति के मार्ग प्रशस्त
होंगे । तत्जनित भागदौड़ करनी
पड़ सकती है। खाने-पीने
की चीजों में लापरवाही न वरतें
। भोज्यपदार्थों की विषाक्तता
(फुडप्वॉयजनिंग)
की
वेदना झेलनी पड़ सकती है ।
सामाजिक कार्य और प्रतिष्ठा
में वृद्धि
के आसार हैं । विद्यार्थियों
के लिए ये वर्ष उत्तम प्रतीत
हो रहा है । परीक्षा-परिणाम
विशेष रुप से अनुकूल होने की
आशा है । जीवन के अन्य कार्यों
में भी सफलता मिलेगी । प्रेम-प्रसंग
में स्थायित्व बना रहेगा ।
वैवाहिक जीवन में सुख-शान्ति
सामन्जस्य बना रहेगा ।
तीर्थ-यात्रायें
हो सकती हैं । व्यापारिक स्थिति
में काफी उतार-चढ़ाव
की स्थिति
बनी रह सकती है । नौकरी पेश
लोगों के लिए शुभसंकेत मिल
रहे हैं । वर्ष के दूसरे,सातवें
और दशवेें महीने किंचित अनिष्टकर
हैं।
अतः इन महीनों में कोई नयी
कार्ययोजना बनाने और उस पर
पहल करने से परहेज करें। पलाश
के चार बीज लाल कपड़े में
वेष्ठित(बांध
कर)
ताबीज
की तरह धारण करें। पलाश की
लकड़ी और गोघृत से सोमवार की
रात्रि में विधिवत हवन करें।
इन उपचारों से बड़ी शान्ति
मिलेगी और सामयिक संकटों का
निवारण भी होगा।
सम्प्रति
जारी उभय दशापतिग्रहों की
शान्ति पर भी ध्यान देना चाहिए।
अस्तु।
५.सिंह
राशि -
(मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे)-
सिंह
राशि वालों के लिए यह संवत्सर
सामान्य
शुभदायक रहेगा। उन्नति
के नये मार्ग दृष्टिगत होंगे
। हालाकि काफी संघर्षपूर्ण
स्थिति रहेगी। कार्यक्षेत्र
में परेशानी के कारण मानसिक
तनाव बना रह सकता है । स्थानान्तरण
के योग भी दीख रहे हैं। स्वास्थ्य
सम्बन्धी छोटी-मोटी
परेशानियां हो सकती हैं।
भाई-बहनों
के
साथ
सहयोगपूर्ण वातावरण बनेगा।
भूमि-भवन-वाहन
सम्बन्धी विशेष सुख-सुविधा
का योग बन रहा है। माता-पिता
का स्वास्थ्य किंचित बाधित
रहेगा। विद्यार्थी वर्ग को
पूर्व की अपेक्षा अधिक संघर्षशील
होना पड़ेगा । वैवाहिक जीवन
में किंचित मतभेद और तनावपूर्ण
स्थिति झेलनी पड़ सकती है।
धार्मिक कृत्य में भाग लेने
के सुअवसर मिलेंगे। नौकरीपेशा
लोगों को स्थान परिवर्तन करना
पड़ सकता है। वर्ष के पहले,छठे
और ग्यारहवें महीने किंचित
अनिष्टकर हैं।
अतः अच्छा होगा कि इन महीनों
में कोई नयी योजना पर अमल न
करें। विविध कष्टों के निवारण
के लिए शिव एवं हनुमद् आराधना
शान्तिदायक होगी। वटवृक्ष
का वरोह(ऊपर
से नीचे की ओर लटकती जड़ें)
जल
में घिस कर तिलक लगायें। वरोह
का छोटा टुकड़ा ताबीज में भर
कर धारण करना भी लाभदायक होगा।
जन्मकुण्डली के अनुसार महादशा
एवं अन्तर्दशापतियों की शान्ति
के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि विशेष लाभ हो सके।
अस्तु।
६.कन्या
राशि-
(टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो)-
कन्या
राशि वालों के लिए यह संवत्सर
मानसिक चिन्ता तथा पारिवारिक
विवादों वाला होगा,
क्यों
कि शनि की अढ़ैया का प्रबल
प्रभाव पूर्ववत
जारी
है। आगे
फाल्गुन
कृष्ण नवमी,सोमवार
तदनुसार १७
फरवरी
२०२०ई.
के
बाद ही शनि जनित चिन्ताओं से
मुक्ति मिलेगी।
अनावश्यक दौड़-धूप
करना पड़ेगा। घरेलू
कार्यों में बाधायें आयेंगी
और विशेष दौड़धूप भी करना पड़
सकता है। किसी
कार्य में पर्याप्त मेहनत के
बावजूद
असफलता अधिक मिलेगी। मित्रों
और प्रियजनों से अकारण विवाद
हो सकता है। स्वास्थ्य सामान्य
रहेगा। अध्ययन-अध्यापन
के क्षेत्र में वाधायें आयेंगी।
बाल-बच्चों
को शारीरिक पीड़ा हो सकती है।
उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान
रखना होगा। समाज-सेवियों
के लिए ये वर्ष अधिक संघर्ष-पूर्ण
होगा। वर्ष के पहले,सातवें
और बारहवें
महीने अधिक प्रतिकूल हो सकते
हैं।
अतः
इन महीनों में कोई नयी योजना
न बनायें। ध्यातव्य
है कि महीनों की गणना चैत्रादि
क्रम से ही
करें
। शनि
की आराधना यथा सम्भव करना
लाभदायक होगा। आम के कच्चे
और पके फलों को ब्राह्मण,
भिखारियों
और आत्मीय जनों में बांट कर,
सबसे
अन्त में स्वयं भी खा लें।
अद्भुत लाभ होगा। सम्भव हो
तो आम के वृक्ष में नियमित जल
डालें। यह भी आपके लिए लाभदायक
होगा। जन्मकुण्डली के अनुसार
महादशा एवं अन्तर्दशापतियों
की शान्ति के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि विशेष लाभ हो सके।
अस्तु।
७.तुला
राशि-
(रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)-
तुला
राशि वालों के लिए
यह
सम्वत् विशेष
शुभदायक हो
सकता है।
पूर्व से बन रही योजनायें सफल
होंगी। पारिवारिक
वातावरण सुखप्रद होना चाहिए
। किसी कार्यवश सुदीर्घ यात्रा
का योग भी बन सकता है। मित्रवर्ग
से सहयोग मिलेगा और पूर्व से
रुके हुए काम में सफलता मिलेगी
। रुका हुआ धनलाभ भी हो सकता
है। संगीत और कला के प्रति
अभिरुचि बढ़ेगी । भाई-बन्धुओं
से सौहार्द्र की स्थिति बनी
रहेगी । सम्पत्ति के क्रय-विक्रय
के लिए ये वर्ष शुभकारी प्रतीत
हो रहा है। फिर भी सोच-समझ
कर कदम उठायें । वर्ष
के प्रारम्भ में चोट-चपेट
का सामना करना पड़ सकता है।
माता-पिता
को शारीरिक कष्ठ हो सकते हैं।
पति
/
पत्नी
का स्वास्थ्य वाधित रह सकता
है। व्ययाधिक्य के कारण चिन्ता
बनी रह सकती है। विशेषकर रोग
बीमारियों पर अधिक व्यय होने
की आशंका है। सरकारी नौकरी
पेशा वालों की व्यस्तता बढ़
सकती है। विद्यार्थियों और
प्रतियोगिता में लगे छात्रों
को सामान्य लाभ मिलेगा। परिवार
में खासकर बच्चों और पति
/
पत्नी
के बीच आपसी विवाद अकारण उत्पन्न
हो सकता है। किसी
निकट सहयोगी का वियोग भी सहना
पड़ सकता है । विरोधियों का
दबाव बना रहेगा । वर्ष
के तीसरे,पांचवें,नौवें
और बारहवें
महीने
किंचित कष्टप्रद होंगे। अतः
इन महीनों में कोई नयी योजना
न बनायें। ध्यातव्य
है कि महीनों की गणना चैत्रादि
क्रम से करें।
मौलश्री(बकुल)
के
पुष्प उपलब्ध हों तो उन्हें
भगवान विष्णु (राम,कृष्णादि
किसी विग्रह)
पर
अर्पित करें। मौलश्री की छाल
को चूर्ण बनाकर ताबीज में भरकर
धारण करें। विशेष लाभ होगा।
जन्मकुण्डली के अनुसार महादशा
एवं अन्तर्दशापतियों की शान्ति
के लिए जप-हवन
आदि नियमित करना/कराना
चाहिए। ताकि विशेष लाभ हो सके।
अस्तु।
८.वृश्चिक
राशि-
(तो,ना,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू)-
वृश्चिक
राशि वालों के लिए यह वर्ष
पहले
की अपेक्षा काफी अच्छा होगा।
हालाकि लम्बे समय से चली आ
रही शनि की साढ़ेसाती का उतरता
हुआ दौर अब प्रारम्भ हो चुका
है,यानी
शनि महाराज वृश्चिक राशि वालों
के पैर की ओर काफी
नीचे
उतर आये हैं। इस कारण पहले की
अपेक्षा काफी राहत महसूस होगी।
फिर
भी आगे
फाल्गुन
कृष्ण नवमी,सोमवार
तदनुसार १७
फरवरी
२०२०ई.
के
बाद ही शनिजनित चिन्ताओं से
पूर्ण
रुप से मुक्ति
मिलेगी।
लम्बित कार्यों और स्थितियों
में यत्किंचित सुधार प्रतीत
होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा के
साथ-साथ
प्रभावशाली कार्यों को करने
का अवसर भी मिलेगा,
जिससे
सुख-शान्ति
मिलेगी। निरर्थक दौड़-धूप
और अकारण उलझनों का सामना भी
करना पड़ सकता है। खान-पान
पर विशेष ध्यान देते हुए सावधानी
वरतें। परिवार में कुछ मांगलिक
कार्य सम्पन्न होने की आशा
है। जमा पूंजी का शुभकार्यों
में व्यय होगा । बाल-बच्चों
को शारीरिक पीड़ा हो सकती है।
अध्ययन-अध्यापन
में बाधायें आ सकती हैं ।
विद्यार्थीवर्ग को अधिक
परिश्रम करना पड़ेगा। माता-पिता
के साथ सम्बन्ध सुखमय होंगे।
न्यायिक कार्यों में सफलता
मिलेगी । पुराने
चले रहे वादों का निपटारा होगा
। पति-पत्नी
के बीच वैचारिक मतभेद समाप्त
होकर,
प्रेम-सौहार्द्र
की स्थिति बनेगी।
इस
प्रकार वैवाहिक जीवन सुखद
होगा । आर्थिक
स्थिति में किंचित उतार-चढ़ाव
बना रहेगा लगभग पूरे वर्ष में
। नये व्यापार की योजना भी बन
सकती है। नौकरीपेशा वालों की
व्यस्तता बढ़ेगी और नयी उलझनें
भी खड़ी हो सकती है। वर्ष के
पहले,तीसरे
और दसवें
महीने
किंचित कष्टकर हो सकते
हैं।
इन महीनों में कोई नयी योजना
पर कार्यान्वयन न करें। शनि
की साढ़ेसाती का समुचित शमन
करके उचित लाभ प्राप्ति हेतु
शनि की यथोचित आराधना-
जप,हवन,पाठ
आदि करते रहना चाहिए। इस बात
का ध्यान रखें कि जिनकी जन्म
कुंडली में शनि उच्च के होकर
शुभस्थानों में बैठें हों
उन्हें शनि की शान्ति हेतु
हनुमान जी की आराधना नहीं करनी
चाहिए,वल्कि
सीधे शनि की आराधना ही श्रेयस्कर
है। ध्यातव्य है कि वर्ष के
अन्दर शनि की वक्री-मार्गी
गति परिवर्तन के कारण साढ़ेसाती
का प्रभाव किंचित बढ़ेगा और
घटेगा भी,
किन्तु
इससे विशेष चिन्ता नहीं करनी
चाहिए। अपना सामान्य प्रयास
जारी रखें। शान्ति-लाभ
होगा। खैर की लकड़ी और घी से
मंगलवार को दोपहर में यथोचित
हवन करें। पान यदि खाते हों
तो कत्था अधिक खायें।
इन
उपचारों से यथोचित लाभ मिलेगा।
तात्कालिक महादशा,अन्तर्दशादि
के ग्रहों का उपचार भी साथ साथ
अवश्य करना चाहिए,ताकि
विशेष लाभ हो। अस्तु।
९.धनु
राशि -
(ये,यो,भा,भी,भू,ध,फ,ढ,भे)-
धनु
राशि वालों के लिए यह संवत्सर
प्रायः कष्ट और चिन्ताओं से
घिरा हो सकता है। शनि के संचरण
से साढ़ेसाती का प्रभाव जारी
रहेगा,
क्यों
कि शनि का मध्य पाद इस राशि पर
पूर्व की भांति ही है। यानी
धनुराशि वालों के हृदय स्थल
पर शनि का प्रकोप है। वर्ष के
अन्दर इनका वक्री-मार्गी
संचरण भी होगा,
जिसके
कारण परेशानियां कमोवेश होती
प्रतीत होंगी। फिर भी कुल
मिलाकर शनि का गहरा दुष्प्रभाव
बना ही रहेगा। निरर्थक
दौड़धूप,मानसिक
तनाव,परेशानी,सन्ताप,
उद्विग्नता,
आर्थिक-शारीरिक
क्लेश आदि प्रायः वर्ष पर्यन्त
झेलने पड़ेंगे। विशेष कर उदर
व्याधि की आशंका है। आर्थिक
कठिनाई,
स्वजनों
से अकारण वैर-विरोध,पारिवारिक
अशान्ति का वातावरण बना रहेगा।
अर्थ व्यवस्था के लिए कठोर
संघर्ष करना पडेगा। स्वास्थ्य
के प्रति विशेष सचेष्ट रहने
की आवश्यकता है। लम्बे समय
से रुके हुए कुछ कार्य सम्पादित
हो सकते हैं। भूमि-भवन-वाहनादि
के क्रय-विक्रय
में सावधानी वरतें।
सन्तान पक्ष से किंचित चिन्ता
की स्थिति बन सकती है। उनके
स्वास्थ्य को लेकर विशेष रुप
से परेशानी उठानी
पड़
सकती है। नये कार्यों का भी
अवसर मिल सकता है। किन्तु
सोच-समझ
कर निर्णय लेना चाहिए। रोग-व्याधि
में धन का अपव्यय होगा। शत्रुपक्ष
की प्रबलता भी दीखेगी। वर्ष
का
दूसरा,चौथा,छठा
और नौंवा
महीना
विशेष कष्टप्रद हो सकता
हैं। ध्यातव्य
है कि महीनों की गणना चैत्रादि
क्रम से करें। अतः
अच्छा होगा कि इन महीनों में
कोई नयी कार्य-योजना
न बनायें। मुख्य रुप से शनि
की आराधना पर ध्यान देना जरुरी
है। साथ ही अन्य उपाय भी करने
चाहिए। तात्कालिक महादशा और
अन्तर्दशापतियों की यथोचित
शान्ति का उपाय भी करना चाहिए।
हल्दी का तिलक (स्त्रियों
के लिए पीला सिन्दूर का व्यवहार)
लाभदायक
होगा। अपने प्रिय देवता की
आराधना करते रहें। विशेष कष्ट
का निवारण अवश्य होगा। पीपल
की लकड़ी और घी से
प्रत्येक
गुरुवार को यथोचित होम किया
करें। इससे काफी राहत मिलेगी।
जन्म कुंडली के तात्कालिक
महादशा,अन्तर्दशादि
के ग्रहों का उपचार भी साथ-साथ
अवश्य करना चाहिए,ताकि
विशेष लाभ हो। अस्तु।
१०.मकर
राशि-
(भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,गा,गी)-
मकर
राशि वालों के लिए यह संवत्सर
प्रायः
कष्ट और चिन्ताओं से घिरा हो
सकता है। शनि के संचरण से
साढ़ेसाती का प्रभाव अभी
जारी
रहेगा,
क्यों
कि शनि का अग्र पाद इस राशि पर
आरुढ़ है। इस प्रकार मकर राशि
वालों का शिरोभाग शनि के चपेट
में आया हुआ है। वर्ष के अन्दर
इनका वक्री-मार्गी
संचरण भी होगा,
जिसके
कारण परेशानियां कमोवेश होती
प्रतीत होंगी। फिर भी कुल
मिलाकर शनि का गहरा दुष्प्रभाव
बना ही रहेगा। निरर्थक दौड़धूप,
मानसिक
तनाव,
परेशानी,
सन्ताप,
उद्विग्नता,
आर्थिक-शारीरिक
क्लेश आदि प्रायः वर्ष पर्यन्त
झेलने पड़ेंगे। विशेषकर मानसिक
संताप अधिक झेलना पड़ सकता
है। किसी बात में अनिर्णय की
स्थिति बनी रह सकती है। हालाकि
कोई निर्णय बहुत सोच-विचार
कर और अनुभवियों की राय से ही
करनी चाहिए। क्यों कि शनि के
प्रभाव से गलत निर्णय (गलत
कदम)
की
अधिक आशंका है। वाहन
दुर्घटना हो सकती है। माता-पिता
को शारीरिक पीड़ा हो सकती है।
वर्ष के उत्तरार्द्ध में
परिवार में रोग-शत्रु
की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
नौकरी
पेशा वालों को समय पर वेतन आदि
न मिलने के कारण आर्थिक संकट
झेलना पड़ सकता है। नौकरी
में स्थानान्तरण के योग भी
बन सकते हैं।
व्यापारी वर्ग के लिए भी ये
वर्ष आर्थिक रुप से सुखद नहीं
कहा जा सकता । साझेदारी के
कार्यों में वाधायें आयेगी।
ऑपरेशन की स्थिति भी बन सकती
है। राजनैतिक
सम्बन्धों में मजबूती आयेगी।
वर्ष
के पांचवें,सातवें
और बारहवें महीने प्रायः अशुभ
फलदायी हैं। अतः इन महीनों
में किसी प्रकार की नयी योजना
बनाने से बचें। शीशम(विशेष
कर काला शीशम)
के
फूल शीशे के पात्र में भर कर
घर में सुविधानुसार किसी ऐसे
स्थान पर रखे दें जहां नित्य
उन पर दृष्टि पड़ सके। सड़ने
से पहले उसे विसर्जित कर दूसरा
फूल रख दें। अद्भुत लाभ होगा।
तात्कालिक महादशा,अन्तर्दशादि
के ग्रहों का उपचार भी साथ-साथ
अवश्य करना चाहिए,ताकि
विशेष लाभ हो। अस्तु।
११.कुम्भ
राशि-
(गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,दा)-
कुम्भ
राशि वालों के लिए यह सम्वत्सर
लाभकर
और सुखदायक रहने
की आशा है। पूर्व
में किये गये प्रयासों में
सफलता के फल लग सकते हैं।
प्रतिष्ठित लोगों से सम्पर्क
बनेंगे । स्वास्थ्य प्रायः
अनुकूल रहेगा । कार्यक्षेत्र
की परेशानियां कम होंगी । फिर
भी भाग-दौड़
की जिन्दगी गुजर सकती है।
कार्य-व्यापार
का विस्तार हो सकता है। नयी
सम्भावनायें बन सकती है।
किन्तु सोच समझ कर निर्णय लेना
चाहिए। भवन-निर्माण
के कार्य पूरे होने के आसार
दीख रहे हैं। अन्यान्य अवरुद्ध
कार्य में भी प्रगति आयेगी।
रुका
हुआ धन वापस मिल सकता है।
अध्ययन-अध्यापन
में अभिरुचि बढ़ेगी । रोग-बीमारी
में धन का अकारण व्ययाधिक्य
हो सकता है। वाहन
दुर्घटना की आशंका है।
चोट-चपेट,ऑपरेशन
आदि की भी आशंका है। वर्ष के
उत्तरार्द्ध में
परेशानी अधिक
हो सकती
है। आकस्मिक धन-लाभ
की भी सम्भावना है। विद्यार्थीवर्ग
के लिए ये वर्ष अधिक संघर्षपूर्ण
रहेगा । सन्तानपक्ष से मधुर
सम्बन्ध रहेंगे । नौकरीपेशा
लोगों की पदोन्नति हो सकती
है। वर्ष
के तीसरे,आठवें
और दसवें
महीने प्रायः अशुभ फलदायी
हैं। अतः इन महीनों में किसी
प्रकार की नयी योजना बनाने
से बचें। सम्भव हो तो घर के
पश्चिम दिशा में शमी का पौधा
स्थापित करें और उसकी पत्तियां
भगवान भोलेनाथ को नित्य अर्पित
करें। शमी का फूल उपलब्ध हो
तो उसे भी शिवार्पण करना चाहिए।
शमी की लकड़ी और घी से शनिवार
को संध्या समय हवन करने से
विशेष लाभ होगा।
शिव
की आराधना लाभदायक होगी।
तात्कालिक महादशा,अन्तर्दशादि
के ग्रहों का उपचार भी साथ-साथ
अवश्य करना चाहिए,ताकि
विशेष लाभ हो। अस्तु।
१२.मीन
राशि-(दी,दू,थ,झ,ञ,दे,दो,चा,ची)
-
मीन
राशि वाले लोगों के लिए यह
संवत्सर प्रायः शुभदायक रहेगा।
किन्तु
कार्य प्रगति की गति धीमी
होगी। रुके हुए कार्यों की
सिद्धि होगी। वर्ष के प्रारम्भ
में चोट-चपेट
की आशंका है। आर्थिक मामलों
में संघर्षपूर्ण स्थिति बनी
रहेगी।
स्वास्थ्य बाधा भी झेलनी पड़
सकती है। पारिवारिक मतभेद और
आर्थिक क्षति का सामना भी करना
पड़ सकता है। सम्पत्ति क्रय-विक्रय
की स्थिति बनेगी। माता-पिता
के स्वास्थ्य बाधित रहेंगे
। विद्यार्थियों के लिए ये
वर्ष कठिन श्रम-साध्य
होगा। वैवाहिक जीवन में सुखद
स्थिति रहेगी । कोर्ट-कचहरी
के कार्यों में भाग-दौड़
करना पड़ेगा और अवांछित
अर्थ-क्षय
का सामना करना पड सकता है।
व्यापारी वर्ग को विशेष
उतार-चढ़ाव
का सामना करना पड़ेगा। नौकरीपेशा
वालों के लिए ये वर्ष उत्तम
रहेगा। वर्ष
के छठे,नौवें
और ग्यारहवें
महीने किंचित कष्टप्रद होंगे।
अतः उन महीनों में कोई नवीन
कार्य की योजना न बनावें और
न पहल करें। नित्य वटवृक्ष
में जल डालना,
परिक्रमा
करना,
तथा
वरोह वा वट-पत्र
को तकिये में डाल कर सोने से
चमत्कारी लाभ होगा। तात्कालिक
महादशा,
अन्तर्दशादि
के ग्रहों का उपचार भी साथ साथ
अवश्य करना चाहिए,ताकि
विशेष लाभ हो। अस्तु।
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