पार्वती की निराधार चिन्ता

पार्वती की निराधार चिन्ता
श्रावण का महीना शुरु हो गया,और शिव-भक्तों की रंग-विरंगी टोली निकल पड़ी,कांवर लेकर बाबा भोलेनाथ के सिद्धस्थलों की ओर। ऐसे ही एक श्रावण में भक्तों की भीड़ को देखकर,माता पार्वती चिन्तित हो उठी थी,औघड़दानी शिव की प्रतिज्ञा से। शिव की प्रतिज्ञा है कि निष्काम,निर्विकार,एकनिष्ठ होकर यदि कोई भक्त गंगाजल भर कर, ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करेगा,तो उसे सीधे कैलास में स्थान मिल जायेगा।
पार्वती की चिन्ता स्वाभाविक है। भोलेनाथ तो बिना सोचे-समझे कुछ के कुछ बरदान देते ही रहते हैं;और उससे उत्पन्न विकट स्थिति को सम्भालने का दायित्व विष्णु पर आजाता है,क्यों कि वे पालनकर्ता हैं। वे नहीं सम्भालेंगे तो और कौन सम्भालेगा ? अटपटे वरदान के लिए भस्मासुर का उदाहरण विख्यात है। विष्णु ने मोहिनीरुप न धरा होता,तो पता नहीं क्या हाल हुआ होता उस दिन शिव का,और संसार का !
लाखों-लाख लोग कांवर लेकर,जल ढालने जाते हैं। साल भर तक तरह-तरह के कर्म-कुकर्म करते हैं,और श्रावण में चल देते हैं कांवर लेकर। शिव तो प्रतिज्ञावद्ध हैं। फिर क्या होगा कैलास का?  कहीं ऐसा न हो कि एक दिन कैलाश भी भर जाये पापियों की भीड़ से। पार्वती की चिन्ता का कारण यही है।
अपनी प्रिया का उदास मुखमंडल शिव से देखा न गया। उन्होंने कहा- ‘उमा ! तुम व्यर्थ ही चिन्तित हो रही हो। मेरे प्रतिज्ञा-वाक्य पर जरा ध्यान दो। तुम्हें क्या लगता है ये भीड़ निष्काम,निर्विकार,एकनिष्ठ भक्तों की है ? जरा भी नहीं। इस असंख्य भीड़ में विरले ही कोई मेरा भक्त होगा। ये भीड़ है सिर्फ भिखारियों की- कोई धन मांगने जा रहा है,कोई वेटा,कोई सौभाग्य,कोई शत्रु-पराजय। कोई गांव की कुर्सी के लिए जा रहा है,तो कोई राज्य की, कोई देश की। किसी को ऑफिस वाली कुर्सी चाहिए तो किसी को ‘और बड़ी वाली’ । इसमें कितने ही ‘व्यापम’ हैं,कितने ही ‘राजा’ हैं। इनकमटैक्स,सेलटैक्स हजम करने वालों की तो गिनती ही मुश्किल है। सरसो तेल में मोबिल,और मिर्चा पाउडर में ईंट की बुकनी, दवा के नाम पर जहर,न्यूडल में लेड वाले की भी कोई कमी नहीं है इस जमात में। और ज्यादातर लोग तो सिर्फ ‘पिकनिक’ मनाने जा रहे हैं। इनमें कैलास की कामना वाले कहाँ नजर आरहे हैं ? लोग मुझसे मांगने आते हैं,पर ये भूल जाते हैं कि मैं अपने पास से कुछ देता नहीं। जो उनका है,उसे ही सूद समेत वापस कर देता हूँ। अतः तुम्हारी चिन्ता निराधार है।’ शिव की बात सुन कर पार्वती मुस्कुरा पड़ी।
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