सम्वत् २०७२(२१ मार्च २०१५ से ७ अप्रैल २०१६) का राशि फल

     

   सम्वत् २०७२(२१ मार्च २०१५ से ७ अप्रैल २०१६) का राशि फल
                    बारह राशियों का क्रमानुसार फल-विचार
*   १.मेष राशि- (चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ)- मेष राशि के लोगों के लिए यह वर्ष(संवत्) सामान्य शुभदायक होना चाहिए।शनि की अढ़ैया का षष्ठम् प्रभाव इस राशि पर वक्री-मार्गी संक्रमण सहित सम्वत् पर्यन्त रहेगा, जिसके कारण न्यूनाधिक रुप से मेष राशिजातकों को आर्थिक,शारीरिक, मानसिक त्रिविध संतापों का सामना करना पड़ेगा।रोग-बीमारी जनित  छोटी-मोटी परेशानियां विशेष रुप से रहेंगी।ऋणभार भी ग्रसित करेगा। परिवार में मांगलिक कृत्य का सुखद संयोग भी बन सकता है।पंचम् भाव- विद्या-सन्तान सम्बन्धी सुख की भी सम्भावना है।चतुर्थ भाव- भूमि,भवन, वाहन,मातादि का सुख लाभ होता रहेगा।भूमि-प्राप्ति(क्रय)का संयोग बन सकता है।वाहन-क्रय भी हो सकता है।भवन-निर्माण यदि गत संवत् में वाधित हुआ हो तो इस बार निर्विघ्नता पूर्वक काम आगे बढ़ना चाहिए।कार्य व्यस्तता भी बनी रहेगी।वर्ष के प्रारम्भिक दो-तीन महीनों में मंगल जनित पीड़ा- चोट-चपेट झेलने पड़ सकते हैं।आँखों की बीमारी सता सकती है। माता-पिता को धार्मिक कार्यों में अभिरुचि रहेगी।तज्जनित व्ययाधिक्य भी झेलना पड़ सकता है।षष्ठम् भाव – रोग-रिपु सम्बन्धी पुरानी परेशानियाँ यदि हों तो उनमें आशातीत सुधार होना चाहिए,भले ही कुछ नयी बीमारी आ धमके।व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ की आशा नहीं रखनी चाहिए,हाँ घाटे का समना भी नहीं करना पडेगा।न्यायिक कार्यो से त्रस्त व्यक्तियों को सफलता और शान्ति के आसार हैं। संवत् के चौथे,आठवें और बारहवें महीनों में किसी विशेष कार्य की योजना न बनायें,क्यों कि सफलता संदिग्ध प्रतीत हो रही है।शनि जनित परेशानि के शमन हेतु दशरथ कृत शनिस्तोत्र का पाठ सुविधानुसार रात सोते समय करना अति लाभदायक होगा।
*     २.वृष राशि- (ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो)- वृष राशि वालों के लिए यह संवत्
सामान्य शुभदायक रहेगा। संवत् का पूर्वार्ध किंचित परेशानियों वाला भले ही हो,किन्तु उत्तरार्ध सकारात्मक और सुखदायी रहना चाहिए।स्वास्थ्य सम्बन्धित किंचित परेशानियाँ हो सकती हैं।पंचम् और सप्तम् भाव- सन्तान और पत्नी सम्बन्धी किंचित परेशानी(स्वास्थ्य जनित) हो सकती है।पति-पत्नी के आपसी सम्बन्धों में अकारण खटास आसकता है।संयोग वश यदि दोनों वृष राशि वाले ही हुए तो उनकी परेशानी और अधिक हो जायेगी। व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ होने का संकेत है।नौकरी पेशा से जुड़े लोगों को पदोन्नति एवं सुख की प्राप्ति हो सकती है।शिक्षा-क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति- शिक्षक और विद्यार्थियों को अस्पष्ट कारणों से विविध वाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।वृहस्पति जनित अन्य क्षेत्र भी वृषराशि वालों का प्रभावित हो सकता है।परिवार में क्लेश और अशान्ति का वतावरण बना रह सकता है।संवत् के दूसरे,पांचवें और नौवें माह में किसी नवीन योजना पर पहल नहीं करना चाहिए।गोसेवा से ऐसे व्यक्तियों को लाभ और शान्ति मिलेगी।
*      ३.मिथुन राशि- (का,की,कु,घ,ङ,छ,के,को,हा)- मिथुन राशि वालों के लिए यह संवत्सर सामान्य शुभदायक होगा।अर्थव्यवस्था में आशातीत सुधार के योग बन रहे हैं।पेट सम्बन्धी बीमारियाँ मिथुनराशि वालों को परेशान कर सकती हैं। संचित धन,अचल सम्बन्धी सम्बन्धी विवाद अचानक उभर कर संकट में डाल सकते हैं।न्यायिक कार्यों में सफलता मिलने की सम्भावना है।नव निर्माण और प्रगति की योजना बन सकती है।व्यापारी वर्ग को विशेष लाभ मिल सकता है। परिवार में मांगलिक कार्य- शादी-विवाहादि उत्सव का योग भी प्रतीत हो रहा है। किसी प्रियजन के वियोग(विछोह)जनित मानसिक संताप भी झेलना पड़ सकता है।वाहन दुर्घटना की भी आशंका है।संवत् के दूसरे,छठे और दसवें महीने में कोई नवीन कार्य योजना न बनावें,अन्यथा असफलता हाथ लगेगी।
*   ४.कर्क राशि - (ही,हू,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो)- कर्क राशि के जातकों के लिए यह संवत् विशेष शुभदायक रहेगा।किन्तु शिक्षा  क्षेत्रियों (शिक्षक और विद्यार्थी दोनों) को विविध कार्यवाधा झेलनी पड़ सकती है।नवीन कार्य-योजनायें तो बनेंगी,किन्तु उनका संचालन और सफलता संदिग्ध है।विशेष कर संवत् के पूर्वार्ध में नयी योजना न बनायी जाय।अर्थ और स्वास्थ्य भी चिन्ता का कारण बन सकता है। किंचित धार्मिक कृत्य में धन का सदुपयोग हो सकता है।नौकरी में पदोन्नति की सम्भावना है।व्यापारी वर्ग को लाभ के आसार हैं।संवत् का तीसरा,सातवां,और ग्यारहवां महीना अपेक्षाकृत अधिक कष्टदायक हो सकता है।लग्न कुण्डली में चन्द्रमा दूसरे,छठे,सातवें,आठवें,बारहवें घर में यदि न बैठे हों तो मोती धारण करना लाभदायक होगा।संयोग से लग्न और राशि दोनों कर्क ही हो तो मोती अवश्य धारण करलें- किसी सोमवार को सायंकाल में। पलास की लकड़ी से सोमवार की रात्रि में विधिवत हवन करें। पलास का बीज लाल कपड़े में वेष्ठित कर ताबीज की तरह धारण करें।इन उपचारों से बड़ी शान्ति मिलेगी।
*   ५.सिंह राशि - (मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे)- सिंह राशि वालों के लिए यह संवत् थोड़ा कष्टकारक रहेगा।वृश्चिक राशि पर संक्रमित शनि अपने दशम् प्रभाव से सिंह राशि के जातकों को परेशान करेंगे,यानी शनि की अढ़ैया का प्रकोप इन पर रहेगा।परिणामतः आर्थिक,शारीरिक,मानसिक नाना विध क्लेश झेलने पडेंगे। पारिवारिक-सामाजिक अकारण विवादों का जन्म होगा,जो सुलझता सा प्रतीत होकर भी अन्ततः बिगड़ जायेगा,साथ ही धन की बरबादी भी करा जायगा। हाँ,सुखद बात ये है कि वर्ष(संवत्) के उत्तरार्द्ध में सुधार के रास्ते स्वयमेव खुलेंगे,और अगले मार्च-अप्रैल तक स्थिति सामान्य सी हो जायेगी।व्यापारी वर्ग की व्यावसायिक यात्रायें होगी,जिनमें सफलता भी मिलेगी।पारिवार में मांगलिक कार्य सम्पन्न होने के संयोग बनेंगे।संवत् का अन्तिम भाग विशेष सुखकारक होना चाहिए।संवत् का प्रथम मास(चैत्र शुक्ल-वैशाख कृष्ण),पंचम् मास,एवं नवम् मास किसी नवीन कार्यारम्भ के योग्य नहीं हैं। शनि जनित परेशानियों के शमन हेतु दशरथ कृत शनिस्तोत्र का पाठ सुविधानुसार रात सोते समय करना अति लाभदायक होगा।शनि का मन्त्रजप,शमी की लकड़ी और घी से हवन आदि करना श्रेयस्कर है। शिव एवं हनुमद् आराधना शान्तिदायक होगा।वट वृक्ष का वरोह(ऊपर से नीचे की ओर लटकती जड़ें)जल में घिस कर तिलक लगायें।वरोह का छोटा टुकड़ा ताबीज में भर कर धारण करना भी लाभदायक होगा।

*   ६.कन्या राशि- (टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो)- कन्या राशि वालों के लिए यह संवत् प्रायः कष्टकारक ही प्रतीत हो रहा है।भाई-बन्धुओं से अकारण विवाद की स्थिति बनेगी।दाम्पत्य जीवन भी थोड़ा बाधित होगा।अचानक पत्नी-पत्नी के बीच स्थानिक वा मानसिक दूरी बन सकती है,जो तनाव का कारण बनेगा।पत्नी को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।चोट-चपेट,वाहन दुर्घटना आदि की भी आशंका है।किसी प्रियजन का वियोग-विछोह झेलना पड़ सकता है।पूर्व समय से लम्बित चले आरहे न्यायालय सम्बन्धी कार्यों में सफलता मिलने की आशा है।अन्यान्य वाधित कार्यों में भी सफलता मिलने की सम्भावना है।व्यापारी वर्ग को नयी योजनाओं में सफलता मिल सकती है।पुराने चल रहे व्यवसाय में सामान्य लाभ ही मिल पायेगा।नौकरी पेशा वाले लोगों की प्रगति हो सकती है।संवत् का प्रथम्,पंचम्,और नवम् मास किसी नवीन कार्य-योजना के योग्य नहीं है।इन महीनों में विविध प्रकार से विपरीत संयोग रहेंगे। आम के कच्चे और पके फलों को भिखारी, ब्राह्मण और आत्मीय जनों में बांट कर, सबके अन्त में स्वयं भी खा लें।अद्भुत लाभ होगा। सम्भव हो तो आम के वृक्ष में नियमित जल डालें।यह भी आपके लिए लाभदायक होगा।
*   ७.तुला राशि- (रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)- तुला राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती जो लम्बे समय से जारी है,अभी जारी ही रहेगा।हाँ,चुंकि ये साढ़ेसाती का उतरता दौर है- यानी शनि महाराज कमर से नीचे आचुके हैं,इस कारण गत वर्ष की तुलना में इस संवत् में काफी राहत रहेगी।पूर्व समय से वाधित-लम्बित चले आरहे कार्यों में शनि की कृपा से सफलता मिलेगी,किन्तु इसके लिए शनि की सेवा- दान,जप,हवन,स्तोत्र-पाठ आदि समय-समय पर सुविधानुसार करते रहना चाहिए,तभी अनुकूल लाभ होगा।साढ़ेसाती के प्रभाव स्वरुप मानसिक,शारीरिक, आर्थिक क्लेश सहने पड़ेंगे।पत्नी का स्वास्थ्य गड़बड़ रह सकता है।धन के आदान-प्रदान में सावधानी वरतने की आवश्यकता है,अन्यथा नुकसान होगा।पूर्व से चली आरही परेशानियाँ इस संवत् के अन्त तक थोड़ी दूर हो सकती हैं।माता-पिता के लिए तीर्थाटन के योग बन सकते हैं।निरर्थक भाग-दौड़ की स्थिति बनेगी,किन्तु अन्ततः सफलता भी मिलेगी।न्यायिक कार्य में अनुकूल परिणाम के आसार बहुत ही कम हैं।संवत् का दूसरा,छठा और दसवां महीना किसी नवीन कार्य-योजना के लिए अनूकूल नहीं है। यदि आपके जन्मांक-चक्र में शनि तुला राशि पर ही हैं तो सीधे शनि की ही आराधना- स्तोत्र पाठ,दान-जप-होमादि कृत्य से उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करें।वैसी स्थिति में हनुमानजी की आराधना न करना ही आपके हक में अच्छा होगा।हां,उन व्यक्तियों के जिनके जन्मांक-चक्र में शनि की स्थिति मेष राशि में है- शनि की सीधे आराधना के वजाय, हनुमानजी की आराधना ही करनी चाहिए;किन्तु ध्यान रहे- मांसाहारी लोगों एवं बारह से पैंतालिस की महिलाओं को हनुमद् आराधना नहीं करनी चाहिए।हालाकि इस गूढ़ बात पर आजकल लोगों का ध्यान ही नहीं जाता।उनके लिए सभी देव रुप एक समान हैं- किन्तु यह अधूरा सत्य है।मौलश्री(बकुल) के पुष्प उपलब्ध हों तो उन्हें भगवान विष्णु (राम,कृष्णादि किसी विग्रह) पर अर्पित करें।मौलश्री की छाल को चूर्ण बनाकर ताबीज में भरकर धारण करें।इससे विशेष लाभ होगा।
*   ८.वृश्चिक राशि- (तो,ना,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू)- वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष(संवत्)सुखकारक नहीं कहा जा सकता।शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव जारी है- नवम्बर २०१४ से ही,जो आगे भी जारी रहेगा।ध्यातव्य बै कि इस राशि वाले लोगों की छाती पर शनि का प्रभाव चल रहा है।अभी, रविवार,२२ मार्च २०१५ से शनि इसी राशि पर रहते हुए वक्री हो रहे हैं,जिसके कारण उनके प्रभावों में थोड़ा अन्तर आयेगा।जिनकी जन्म कुण्डली में शनि वक्री हों उनकी परेशानी विशेष रुप से बढ़ जायेगी,और सामान्य शनि वालों को राहत भी मिलेगी।शनि के कारण  शारीरिक,आर्थिक,मानसिक क्लेशों का बाहुल्य रहेगा। परिवार के अन्य सदस्यों को भी शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। प्रियजनों से अकारण वैर-विरोध की स्थिति बनी रहेगी। किसी सम्बन्धी के वियोग का भी संवाद मिल सकता है। वाहन,भूमि,भवन सम्बन्धी मामलों में उलझने आसकती हैं।वाहन दुर्घटना की सामना करनी पड़ सकती है।जीवन के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी।पत्नी,और बाल-बच्चों का स्वास्थ्य थोड़ा गड़बड रहेगा।न्यायिक कार्यों में असफलता बनी रहेगी। कुछ नये विवाद भी खड़े हो सकते हैं।मांगलिक कार्य के योग बन सकते हैं।संवत् का तीसरा,सातवां और ग्यारहवां महीना किसी नये कार्यारम्भ के लिए अनुकूल नहीं है। खैर की लकड़ी और घी से मंगलवार को दोपहर में यथोचित हवन करें।पान यदि खाते हों तो कत्था अधिक खायें।
*   ९.धनु राशि - (ये,यो,भा,भी,भू,ध,फ,ढ,भे)- धनु राशि वालों के लिए यह संवत् सामान्य कष्टप्रद ही रहेगा।शनि की साढ़ेसाती का सीधा प्रभाव इस राशि/लग्न वालों के लिए सिर पर है,इस कारण नाना प्रकार की मानसिक चिन्तायें वर्ष पर्यन्त परेशान करती रहेंगी।शारीरिक कष्ट के साथ-साथ आर्थिक कष्ट भी झेलना पड़ेगा।दाम्त्य जीवन भी बहुत सुखप्रद नहीं रह पायेगा।अकारण कटुता बनेगी।नये वर्ष के मध्यकाल में आँखों में रोग जनित परेशानी हो सकती है। आर्थिक विकास के प्रयासों में असफलता ही हाथ लगेगी।व्यापारी वर्ग को विशेष उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है- अपने व्यापार में।किसी कानूनी अड़चन में भी फंस सकते हैं।शिक्षा से जुड़े लोग- शिक्षक और विद्यार्थी वर्ग के विविध कार्य अकारण / अस्पष्ट कारणों से वाधित हो सकते हैं। वाहन की चोरी,वा दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है।साढ़ेसाती के दुष्परिणाम से बचने के लिए शनि का उपचार अवश्य करना चाहिए।दान,जप,हवन,स्तोत्र पाठ- जो जितना हो सके- किये जायें। हल्दी का तिलक(स्त्रियों के लिए पीला सिन्दूर का व्यवहार) लाभदायक होगा। पीपल की लकड़ी और घी से यथासम्भव नित्य हवन करें।अपने प्रिय देवता की आराधना करते रहें।विशेष कष्ट का निवारण अवश्य होगा।

*   १०.मकर राशि- (भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,गा,गी)- मकर राशि वालों के लिए यह संवत् सामान्य शुभदायक रहेगा।भाई-बन्धुओं को किसी कष्ट-परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।माता-पिता को भी रोग-बीमारी सता सकती है।इस राशि/लग्न वाले व्यक्तियों को चोट-चपेट,वाहन दुर्घटना आदि झलना पड़ सकता है।धार्मिक कार्यों के प्रति अभिरुचि बढ़ेगी।दाम्पत्य जीवन सुखद रहेगा।किसी नवीन योजना- कार्य-व्यापार आदि में प्रगति और सफलता की सम्भावना है।पुराने चले आरहे सुख-साधनों में थोड़ी कमी आसकती है।धन के आदान-प्रदान में सावधानी वरतने की आवश्यकता है,अन्यथा नुकसान हो सकता है।किसी को ऋण (उधार) देने से बचे,क्यों कि डूबने की स्थिति बन सकती है,और ऋण लेने से भी यथासम्भव बचें,क्यों कि उसे लौटाने में परेशानी होगी।संवत् का पहला,पाचवां,और नौवां महीना किसी नवीन कार्ययोजना के लिए अनूकूल नहीं है। शीशम(विशेष कर काला शीशम) के फूल शीशे के पात्र में भर कर घर में सुविधानुसार किसी ऐसे स्थान पर  रखे दें, जहां अकसर उन पर निगाह पड़ सके।सड़ने से पहले उसे विसर्जित कर दूसरा फूल रख दिया करें।इस प्रयोग से अद्भुत लाभ होगा।
*   ११.कुम्भ राशि- (गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,दा)- कुम्भ राशि वालों के लिए यह सम्वत् सामान्य शुभद है।परिवार में मांगलिक कृत्य के योग बन रहे हैं। आकस्मिक धन-लाभ के भी आसार हैं।अपव्यय(अवांछित व्यय) के कारण मानसिक तनाव का संकेत भी है।सहज भाव- भाईयों की ओर से किंचित कष्ट के संकेत भी हैं।साथ ही भाइयों को स्वयं भी कष्ट झेलने पड सकते हैं।पुराने चले आ रहे विवादों का निपटारा हो सकता है।विरोधी स्वयमेव शान्त हो जा सकते हैं।पेट सम्बन्धी बीमारियां सता सकती हैं।आर्थिक मामलों में योजनावद्ध रुप से प्रगति के आसार हैं।संवत् के उत्तरार्ध में परिवार में मांगलिक कार्य के योग अवश्य बनेंगे। संवत् का दूसरा,छठा,और दसवां महीना किसी नवीन कार्यारम्भ के लिए अनुकूल नहीं है। व्यापारी वर्ग को लाभ और नौकरी पेशा लोगों के प्रगति-पथ प्रसस्त होंगे। सुविधा हो तो,घर के पश्चिम दिशा में शमी का पौघा स्थापित करें,और उसकी पत्तियां भगवान भोलेनाथ को नित्य अर्पित करें।शमी का फूल उपलब्ध हो तो उसे भी शिवार्पण करना चाहिए।शमी की लकड़ी और घी से शनिवार को संध्या समय हवन करने से विशेष लाभ होगा।
*   १२.मीन राशि- (दी,दू,थ,झ,ञ,दे,दो,चा,ची)- मीन राशि वाले लोगों के लिए यह संवत् सामान्य कष्टदायक हो सकता है।बाल-बच्चे,पत्नी आदि  की स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां बढ़ सकती है,यदि वे पहले से अस्वस्थ हैं।विविध निर्माण कार्यों में अकारण बाधायें आयेंगी।नयी योजनायें बनाने से परहेज करें,क्यों कि इस संवत् में उनकी सफलता संदिग्ध है।पंचम् भाव जनित सुख- यानी विद्या,सन्तान, कैरियर आदि में संतुलनात्मक प्रगति के आसार हैं।चतुर्थ भाव सम्बन्धी कार्य- यानी भूमि,भवन,वाहन आदि में भी कुछ नयापन आ सकता है।यदि इनके क्रय वा निर्माण की योजना बन रही हो,तो अवश्य पहल करें.सफलता मिलने की आशा है। संवत् के उत्तरार्द्ध में परिवार में मांगलिक कार्य सम्पन्न होने की आशा है। व्यापारी और नौकरी पेशालोगों को विशेष लाभ हो सकता है। संवत् का तीसरा, सातवां और ग्यारहवां महीना किसी नवीन कार्ययोजना के लिए अनुकूल नहीं है।इस राशि/लग्न वाले व्यक्तियों को नित्य वटवृक्ष में जल डालना,परिक्रमा करना, तथा वरोह वा वट-पत्र को तकिये में डाल कर सोने से अद्भुत लाभ होगा।अस्तु।

                -----)(इति शुभम्)(----

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