दीपावली-पूजा कब करें?

दीपावली-पूजा कब करें?
दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा का प्रचलन है- घर से लेकर दुकान और प्रतिष्ठान तक।प्रायः संशयात्मक प्रश्न होते रहते हैं कि पूजा कब करें? कुछ लोग अपनी और पुरोहित की सुविधानुसार दोपहर बाद से ही पूजा शुरु कर देते हैं,और भोर तक यह सिलसिला जारी रहता है।चतुर लोग अधिक दक्षिणा देकर सिंह लग्न का चुनाव करते हैं।इस सम्बन्ध में कुछ खास बातों की जानकारी दे रहा हूँ-
१) सामान्य पूजा-सिद्धान्त के अनुसार आमावश्या तिथि में पूजा की जा सकती है-वह जब से जब तक मिले,किन्तु तिथिउदय(उदयतिथि नहीं)को ग्रहण करते हुए। जैसे कि इस बार आमावश्या तिथि बुधवार की रात १.५८ से प्रारम्भ होकर गुरुवार रात २.५३(गया समयानुसार) तक है।गया में सूर्योदय प्रातः ६.१२ में और सूर्यास्त सायं ५.३०बजे है।उदयातिथि को ग्रहण करते हुए बुधवार को सुविधानुसार किसी समय पूजा की जा सकती है।
२) दूसरा सिद्धान्त है- स्थिर लग्न में लक्ष्मी को आहूत किया जाय,ताकि स्थिरलक्ष्मी की प्राप्ति हो।स्थिर लग्न चार होते हैं-वृष,सिंह,वृश्चिक और कुम्भ।इनमें दो दिन में और दो रात्रि में गुजरेंगे।गया समयानुसार इस बार वृश्चिकलग्न दिन में १०.२१ से १२.२७तक,कुम्भलग्न दिन में २.१४से ३.४५तक,वृषलग्न सायं ६.५०से८४६तक,सिंहलग्न रात्रि १.१८से३२तक हैं।इनमें किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
३) गोधुली बेला में लक्ष्मीपूजन का अपने आप में अलग महत्त्व है। गोधूली कहते हैं-सूर्यास्त से चौबीस मिनट पूर्व और चौबीस मिनट बाद तक के समय को।कुछ विद्वान सूर्यास्त पूर्व पैंतालिस मिनट को ही गोधूली मानते हैं।इस काल में लक्ष्मीपूजा की जा सकती है।
ध्यातव्य है कि स्थिर लग्न की महत्ता तभी सार्थक होगी जब वह शुद्ध होगा,यानी उस लग्न में कोई पापग्रह न हों,और न उनकी दृष्टि हो।सौभाग्य से इस बार चारो स्थिर लग्न शुद्ध चल रहे हैं।अभी कुछ साल पूर्वतक सिंहलग्न विलकुल अशुद्ध चल रहा था,किन्तु लोग अज्ञानता में इसे अपनाये हुए थे।अस्तु।



  

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