एक सूचना
प्रिय
बन्धुओं,
सस्नेह
अभिनन्दन।
मेरे
लिए यह अति हर्ष और गौरव की बात है कि चन्द महीनों पूर्व प्रारम्भ किए गये मेरे इस
ब्लॉग- "अकुलाहट"- को आप सज्जनों ने
इतना महत्त्व दिया कि अवलोकियों की संख्या दो हजार से ऊपर पहुँच गयी -यह आपके स्नेह का प्रमाण है,न कि मेरी उत्कृष्टता का।इस बीच
यत्किंचित टिप्पणियां भी आयी,किन्तु पता नहीं क्यों सीधे अकुलाहट पर न आकर फेशबुक
के "कुछखास" पृष्ठ पर आयी,जिससे आपके
विचारों से मैं उत्प्रेरित होता रहा।
प्रारम्भ
में मैं अपनी संस्था का परिचय,आत्मपरिचय,और फिर निरामय और पुनर्भव नामक दो वृहद
उपन्यासों को छोटे-छोटे खण्डों में सुविधा के लिए विभाजित कर,तथा करीब सोलह निज
कहानियां और लेख-व्यंग्य आदि पोस्ट करता रहा।
तदुपरान्त
पैंतीस पोस्ट डाले गये "पुण्यार्कवनस्पतितन्त्रम्"
के। आज,अब यह कार्य भी सम्पन्न हुआ।आगे योजना है- " पुण्यार्कवास्तुप्रदीप"
प्रस्तुत करने का,साथ ही एक आंचलिक उपन्यास-" अधूरी
पतिया" का रसास्वादन कराने का।दोनों का कम्पोजिंग जारी हैं।
फिलहाल
थोड़ा अन्तराल रहने की आशा है पोस्टिंग में।
धन्यवाद
सहित-
कमलेश पुण्यार्क
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