सम्वत् २०७१(३१ मार्च २०१४
से २० मार्च २०१५) का राशि फल
राशिफल विचार पहले परम्परा
थी,किन्तु अब फैशन का रुप ले लिया है।मेष संक्रान्ति(१४ अप्रैल) को लोग विशुआन
मनाते थे- नवान्न(रवि-फसल)तैयार हो जाता है उस समय तक।सत्तू,गूड़,घी,अमौरी के साथ
नया पंचाग दान करने की परम्परा थी।ब्राह्मण को अपने घर बुला कर या उनके घर जाकर
उक्त वस्तुयें अर्पित की जाती थी,और प्रतिफल में आगामी सम्बत् का राशिफल पूछा जाता
था।किन्तु अब तो राशिफल बतलाने के लिए नित्य प्रातः मैडबॉक्स पर तरह-तरह के बाबा
बैठे हुए हैं(जति न पूछें साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान- को चरितार्थ करते हुए)अतः उनका
ब्राह्मण होना कोई जरुरी नहीं है।ज्योतिष-महारथी होना भी जरुरी नहीं है। जरुरी है
सिर्फ बेधड़क लच्छेदार बोली की- भाषा की नहीं।जिन्हें लग्नेश और लग्नस्थ शब्द का
अन्तर भी पता नहीं है,वे भी महिमामंडित हैं चैनेलों पर। जिज्ञासा भाव से कभी
टी.वी.खोला तो दो-चार को सुन कर सिर-दर्द होने लगा। शुरु में तो लगा कि यह उच्चारण
उनका स्लिप-ऑफ-टंग है,किन्तु वस्तुतः लैक-ऑफ-नॉलेज कहना अधिक उपयुक्त
होगा।खैर,किसी मंडलेश्वर की आलोचना मेरा अभीष्ट नहीं है।मैं तो सिर्फ आंखे खोलने
के लिए कहना चाहता हूँ- श्रद्धा बड़ी अच्छी बात है,किन्तु अन्धश्रद्धा(ब्लायन्ड
ल्वायल्टी)बड़ी घातक हो सकती है।अस्तु।
गत दो सम्वतों से फेशवुक पर राशिफल डालते आ रहा
हूँ।इस क्रम में काफी लोगों ने सीधे सम्पर्क भी साधा,और मुझे उत्साहित किया।कुछ लोगों
ने सुझाव भी दिए। विशेष जिज्ञासुओं को सीधे टेलीफोनिक संवाद करने का आग्रह रहता है
मेरा,क्यों कि फेशबुक चैटिंग मुझे भाता नहीं,किसी बन्धु के चैट शुरु कर देने पर
मैं सिर्फ निर्वाह भर कर लेता हूँ।आशा है आगे भी आपका स्नेह निरंतर मिलता रहेगा।
आमतौर पर सीधे अपनी राशि जानकर फल देख लेने
की परम्परा है,किन्तु इस सम्बन्ध में मैं पिछली बार भी कहा था,पुनः स्मरण दिला रहा
हूँ- फल-विचार सिर्फ राशि से न करके लग्न से भी करें।जैसे- मेरी राशि कुम्भ है और
लग्न सिंह। सटीक फल विचार के लिए राशिफल-विवरण में दिए गये दोनों फलों का विचार
करके निश्चय करना चाहिए।मान लिया कुम्भ राशि का फल उत्तम है,किन्तु सिंह लग्न का
फल प्रतिकूल है।ऐसी स्थिति में निश्चयात्मक परिणाम मध्यम होगा।
दूसरी बात ध्यान देने योग्य यह है कि आपके
नाम का प्रभाव भी सामान्य जीवन में काफी हद तक पड़ता है।हमारे यहां विधिवत
नामकरण-संस्कार की परम्परा थी।नाम सार्थक हुआ करते थे,उनका निहितार्थ हुआ करता
था,किन्तु अब तो इंगलैंड के कुत्ते-विल्लयों का नाम हम अपने बेटे-बेटियों का रखकर
गौरवान्वित होते हैं।नियमतः नाम के प्रथमाक्षर की राशि के फल का भी विचार कर लेना
चाहिए।इस प्रकार त्रिकोणीय दृष्टि से राशिफल-विचार करना उचित है।
सुविधा के लिए अबकहा चक्र-सारणी भी राशिफल के
साथ उधृत है।इससे उन लोगों को भी लाभ होगा जिन्हें अपनी राशि और जन्म-समय आदि की
सही जानकारी नहीं है।
बारह राशियों का क्रमानुसार
फल-विचार
१.मेष
राशि- (चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ)- मेष राशि के लोगों के लिए यह
वर्ष(संवत्) सामान्य शुभद होना चाहिए।मन में उत्साह और साहस का बाहुल्य रहेगा।फलतः
साहसिक कार्यों में सफलता मिलेगी।विपक्षी(विरोधी) का उत्साह-भंग होगा।उन्हें पराजय
का सामना करना पड़ेगा।केस-मुकदमे में सफलता मिलने के आसार हैं।पत्नी/पति का
स्वास्थ्य किंचित प्रतिकूल रह सकता है।व्यापार क्षेत्र से जुड़े लोगों को विशेष
उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है,फिर भी अन्तिम परिणाम उनके पक्ष में ही होना
चाहिए- यानी कि लाभ के आसार अधिक प्रतीत हो रहे हैं।नौकरी पेशा वाले लोगों के लिए पदोन्नति
की स्थिति बन रही है।जिन लोगों के पदोन्नति के अवसर नहीं हैं,उन्हें भी मान-सम्मान
और व्यावहारिक सहजता का लाभ होना चाहिए।बाल-बच्चों के विकास के भी अनुकूल अवसर दीख
रहें हैं।इस संबत् पर्यन्त नियमित रुप से कुत्तों को भोजन देते रहने से आशातीत लाभ
होंगे।संबत् का पहला,चौथा,सातवां और बारहवां महीना किंचित शारीरिक कष्टकारक हो
सकता है।केतु ग्रह का उपचार(जप-हवन-दान)लाभदायक होगा।शनि की आराधना भी यथासम्भव
करनी चाहिए।लाल चन्दन का तिलक लगाना लाभदायक होगा।
२.वृष
राशि- (ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो)- वृष राशि वालों के लिए यह
संवत्
सामान्य कष्टकारक रह सकता
है।धन-हानि,और व्यर्थ-अकारण बैर की स्थिति प्रायः उत्पन्न होती रहेगी।व्यर्थ-अकारण
व्यय के कारण मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। परिवार में रोगाधिक्य प्रायः
बना रहेगा।छोटी-मोटी बीमारियों से परेशानी होती रहेगी।पत्नी/पति,व बच्चों को कुछ न
कुछ परेशानियां वर्ष पर्यन्त होती रहेंगी। आकस्मिक धन-लाभ के भी किंचित आसार हैं।धार्मिक
और मांगलिक कार्यों के अवसर भी मिल सकते हैं।संवत् के दूसरे,पांचवें,आठवें और
ग्यारहवें महीने में विशेष शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।शिव की आराधना से लाभ होगा।छतिवन
की जड़ या छाल ताबीज में भर कर धारण करें।तात्कालिक शान्ति मिलेगी।
३.मिथुन
राशि- (का,की,कु,घ,ङ,छ,के,को,हा)- मिथुन राशि वालों के लिए यह
संवत्सर सामान्य शुभदायक होगा।व्यापार में सामान्य लाभ की संभावना है। परिवार में
रोग का बाहुल्य भी रहेगा।विशेषकर सन्तान को कष्ट हो सकता है। विरोधियों की प्रवलता
भी रह सकती है।परिवार में मांगलिक कार्य योजना बन सकती है।व्यर्थ के खर्चे ऋण-ग्रस्त
कर सकते हैं।आय-व्यय का संतुलन बिगड़ सकता है।पति/पत्नी का स्वास्थ्य प्रभावित रह
सकता है।किसी आत्मीय के वियोग की भी आशंका है।संवत् के तीसरे,छठे,नौवें और बारहवें
महीने प्रायः कष्टप्रद होंगे। अतः दान-धर्म में सतत प्रयत्नशील रहें।तात्कालिक
ग्रहों(दशा-विचार से) की यथोचित शान्ति कराना सुखद होगा।कटहल का पका फल मौसम में
उपलब्ध हो तो एक-दो बार अवश्य खा लें।कटहल की पत्तियों पर लड्डुगोपाल की मूर्ति को
स्थापित कर नित्य पूजन करें।आशातीत लाभ होगा।
४.कर्क
राशि - (ही,हू,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो)- कर्क राशि के जातकों के लिए
यह संवत् विशेष शुभद रहना चाहिए,हालाकि शनि की लघु कल्याणी(अढ़ैया) का प्रभाव बना
रहेगा।फिर भी अर्थ व्यवस्था संतुलित रहेगी,मानसिक शान्ति और शारीरिक सुख को थोड़ा
झटका लग सकता है।पित्त-व्याधियां परेशान कर सकती हैं।न्यायिक कार्यों में धन-व्यय
हो सकते हैं।अन्य अप्रत्याशित-अवांछित कार्यों की स्थिति बन सकती है।किसी प्रियजन
का वियोग भी देखना-सुनना पड़ सकता है।मांगलिक कार्यों के लिए भी अनुकूल वातावरण
वनेंगे।संवत् के पहले,चौथे,सातवें,और दशवें महीने विशेष कष्टकारक हो सकते हैं।शनि
की आराधना- स्तोत्र पाठ,जप-होमादि से लाभ होगा।भिक्षुओं और सेवकों को यथोचित
प्रसन्न रखने का प्रयास करें।पलास का बीज लाल कपड़े में वेष्ठित कर ताबीज की तरह
धारण करें।पलास की लकड़ी से सोमवार की रात्रि में विधिवत हवन करें।इन उपचारों से
बड़ी शान्ति मिलेगी।
५.सिंह
राशि - (मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे)- सिंह राशि वालों के लिए यह
संवत् थोड़ा कष्टकारक रहेगा।आंखों की बीमारी झेलनी पड़ सकती है- खास कर
आश्विन-कार्तिक के महीने में।परिवार के अन्य सदस्यों में भी रोग-बाहुल्य रहेगा। एक
ओर सुख-साधनों में बढ़ोत्तरी होगी, तो दूसरी ओर प्रियजन वियोग(विक्षोभ) भी झेलना
पड़ सकता है।धार्मिक योजनायें विफल होंगी।व्यापारी वर्ग को लाभ और नौकरी पेशे
वालों को मान-सम्मान,पदोन्नति आदि के योग बनेंगे।सहज और पराक्रम- भाई-बन्धुओं की
उन्नति का सुख भी मिलेगा।माता-पिता की सेवा का विशेष अवसर-संयोग बनेगा।संवत् के
दूसरे,पांचवें,आठवें,और ग्यारहवें महीने विशेष कष्टकर हो सकते हैं।शिव एवं हनुमद्
आराधना शान्तिदायक होगा।वट वृक्ष का वरोह(ऊपर से नीचे की ओर लटकती जड़ें)जल में
घिस कर तिलक लगायें।वरोह का छोटा टुकड़ा ताबीज में भर कर धारण करना भी लाभदायक
होगा।
६.कन्या
राशि- (टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो)- कन्या राशि वालों के लिए यह
संवत् प्रायः कष्टकारक ही प्रतीत हो रहा है।शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है ही,और
रहेगा भी अभी।फलतः मानसिक अशान्ति,निर्णय-क्षमता का अभाव,अकारण वैर, व्यर्थ के
व्यय,शत्रुओं का वाहुल्य,चोट-चपेट,न्यायालयों का चक्कर आदि का सामना करना
पड़ेगा।वर्ष के उत्तरार्ध में शारीरिक कष्ट के साथ आर्थिक कष्ट भी बढ़ सकते हैं।शनि
की आराधना- स्तोत्र पाठ,जप-होमादि से थोड़ी शान्ति अवश्य मिलेगी।भगवान शिव को
हल्दी,दूब और दही चढ़ाने का नियमित कार्य करें।इससे विशेष लाभ होगा।संवत् के
तीसरे,छठे,नौवें और बारहवें महीने विशेष कष्टकारक हो सकते हैं।उन महीनों में कोई
नवीन कार्य-योजना कदापि न बनायें,एवं शान्ति उपचार विशेष रुप से करें।आम के कच्चे
और पके फलों को ब्राह्मण,भिखारियों और आत्मीय जनों में बांट कर सबसे अन्त में स्वयं
भी खा लें।अद्भुत लाभ होगा। सम्भव हो तो आम के वृक्ष में नियमित जल डालें।यह भी
आपके लिए लाभदायक होगा।
७.तुला
राशि- (रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)- तुला राशि वालों के लिए शनि
की साढ़ेसाती जो लम्बें समय से जारी है,अभी जारी ही रहेगा।वर्षान्त(नवम्बर)में
थोड़ी राहत मिलेगी।शारीरिक,आर्थिक,मानसिक क्लेशों का बाहुल्य रहेगा।परिवार के अन्य
सदस्यों की भी शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा।प्रियजनों से अकारण वैर-विरोध
की स्थिति बनी रहेगी।किसी सम्बन्धी के वियोग का भी संवाद मिल सकता है।सन्तान पक्ष
से किंचित सुख के आसार हैं।यदि आपके जन्मांक-चक्र में शनि तुला राशि पर ही हैं तो
सीधे शनि की ही आराधना- स्तोत्र पाठ,दान-जप-होमादि कृत्य से उन्हें प्रसन्न करने
का प्रयास करें।वैसी स्थिति में हनुमानजी की आराधना न करना ही आपके हक में अच्छा
होगा।हां,उन व्यक्तियों के जिनके जन्मांक-चक्र में शनि की स्थिति मेष राशि में है-
शनि की सीधे आराधना के वजाय हनुमानजी की आराधना ही करनी चाहिए।किन्तु ध्यान रहे-
मांसाहारी लोगों एवं बारह से पैंतालिस की महिलाओं को हनुमद् आराधना नहीं करनी
चाहिए।हालाकि इस गूढ़ बात पर आजकल लोगों का ध्यान ही नहीं जाता।उनके लिए सभी देव
रुप एक समान हैं- किन्तु यह अधूरा सत्य है।मौलश्री(बकुल) के पुष्प उपलब्ध हों तो
उन्हें भगवान विष्णु (राम,कृष्णादि किसी विग्रह) पर अर्पित करें।मौलश्री की छाल को
चूर्ण बनाकर ताबीज में भरकर धारण करें।लाभ होगा।
८.वृश्चिक
राशि- (तो,ना,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू)- वृश्चिक राशि वालों के लिए यह
वर्ष सामान्य शुभद है।शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव जारी ही है,वर्षान्त में थोड़ा
और प्रवल हो जायेगा। शारीरिक,आर्थिक,मानसिक क्लेशों का बाहुल्य रहेगा। परिवार के
अन्य सदस्यों की भी शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। प्रियजनों से अकारण
वैर-विरोध की स्थिति बनी रहेगी।किसी सम्बन्धी के वियोग का भी संवाद मिल सकता है। व्यापारी
वर्ग को लाभ और नौकरी पेशे वालों को मान-सम्मान,पदोन्नति आदि के योग
बनेंगे।यथास्थिति शिव एवं शनि आराधना- स्तोत्र पाठ,दान-जप-होमादि कृत्य से उन्हें
प्रसन्न करने का प्रयास करें।संवत् के दूसरे,पांचवें,आठवें और ग्यारहवें महीने
विशेष कष्टकर हो सकते हैं।उस समय विशेष उपचार की आवश्यकता होगी।खैर की लकड़ी और घी
से मंगलवार को दोपहर में यथोचित हवन करें।पान यदि खाते हों तो कत्था अधिक खायें।
९.धनु
राशि - (ये,यो,भा,भी,भू,ध,फ,ढ,भे)-
धनु राशि वालों के लिए यह संवत् सामान्य शुभकारी होगा।सुख और दुःख के पेंगे लेते
रहेंगे।एक ओर पारिवारिक सुख,दाम्पत्य सुख,सामाजिक प्रतिष्ठा आदि में बढ़ोत्तरी
होगी, तो दूसरी ओर वाहरी विरोधियों का बाहुल्य भी झेलना पड़ सकता है।बाल-बच्चों की
रोग-वीमारी से परेशानी होगी।सहजभाव की प्रबलता है- भाई-बन्धुओं की उन्नति के संयोग
हैं।व्यापारी वर्ग को आर्थिक लाभ और नौकरी पेशा लोगों की उन्नति के भी योग बन रहे
हैं।थोड़ा-बहुत आर्थिक असंतुलन भी झेलना पड़ सकता है।संवत् के तीसरे, छठे,नौवें और
बारहवें महीने विशेष कष्टकारक होंगे।हल्दी का तिलक(स्त्रियों के लिए पीला सिन्दूर का व्यवहार) लाभदायक होगा।अपने
प्रिय देवता की आराधना करते रहें।विशेष कष्ट का निवारण अवश्य होगा।पीपल की लकड़ी
और घी से यथासम्भव नित्य हवन करें।
१०.मकर
राशि- (भो,जा,जी,खी,खू,खे,खो,गा,गी)- मकर राशि वालों के लिए यह
संवत् सामान्य सुखकारक होगा।आकस्मिक धन लाभ के योग भी प्रतीत हो रहे हैं।रोग और
शत्रुओं का प्रभाव हावी रहेगा,जिसके कारण व्ययाधिक्य की परेशानी और मानसिक क्लेश
का सामना करना पड़ सकता है।नवीन और संरचनात्मक कार्यों में विघ्न उत्पन्न होंगे।पारिवारिक
कलह-क्लेश भी झेलने पड़ सकते हैं।व्यापारी वर्ग को लाभ तो होगे,किन्तु अकारण
असन्तोष की वृद्धि भी होगी,जिसके कारण लाभ के सम्यक् सुख से वे वंचित रहेंगे।संवत् के पहले,चौथे, सातवें,और दशवें महीने
विशेष कष्टकारक होंगे।उस काल में विशेष शान्ति उपचार अवश्य करना चाहिए।शीशम(विशेष
कर काला शीशम) के फूल शीशे के पात्र में भर कर घर में सुविधानुसार किसी ऐसे स्थान
पर रखे दें जहां नित्य उन पर निगाह पड़
सके।सड़ने से पहले उसे विसर्जित कर दूसरा फूल रख दें।अद्भुत लाभ होगा।
११.कुम्भ
राशि- (गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,दा)- कुम्भ राशि वालों के लिए यह
सम्वत् सामान्य शुभद है।पारिवार में मांगलिक कृत्य के योग बन रहे हैं। आकस्मिक
धन-लाभ के भी आसार हैं।अपव्यय(अवांछित व्यय) के कारण मानसिक तनाव का संकेत भी
है।सहज भाव- भाईयों की ओर से किंचित कष्ट के संकेत भी हैं।पंचम भाव- संतान,कैरियर,शिक्षा
आदि के सुखद योग बन रहे हैं। चोट-चपेट,दुर्घटना की भी आशंका है।शत्रु पक्ष प्रबल
हो सकते हैं।इन पर अकारण धन व्यय की स्थिति बन सकती है।व्यापारी वर्ग को लाभ और
नौकरी पेशा लोगों के प्रगति-पथ प्रसस्त होंगे।संवत् के दूसरे,पांचवें और आठवें
महीने विशेष कष्टप्रद हो सकते हैं।घर के पश्चिम दिशा में शमी का पौघा स्थापित
करें,और उसकी पत्तियां भगवान भोलेनाथ को नित्य अर्पित करें।शमी का फूल उपलब्ध हो
तो उसे भी शिवार्पण करना चाहिए।शमी की लकड़ी और घी से शनिवार को संध्या समय हवन
करने से विशेष लाभ होगा।
१२.मीन
राशि- (दी,दू,थ,झ,ञ,दे,दो,चा,ची)- मीन
राशि वाले लोगों के लिए यह संवत् सामान्य शुभद है।शनि की लघु कल्याणी- अढ़ैया के
प्रभाव स्वरुप मानसिक क्लेश,निरर्थक यात्रायें,आर्थिक व्यय-बोझ, और असंतुलन की
स्थिति बनी रह सकती है।सुख-साधनों की प्राप्ति के योग भी प्रतीत हो रहे हैं।दाम्पत्य
जीवन थोड़ा कटुतापूर्ण रह सकता है।परिवार में रोग की बढ़ोत्तरी रह सकती है। व्यापारी
वर्ग को लाभ और नौकरी पेशा लोगों को सम्मान की प्राप्ति होगी। मांगलिक कार्यों के
योग भी बन सकेंगे।वर्ष के तीसरे,छठे,नौवें,और बारहवें महीने विभिन्न कारणों से
कष्टकारक हो सकते हैं।नित्य वटवृक्ष में जल डालना,परिक्रमा करना,तथा वरोह वा
वट-पत्र को तकिये में डाल कर सोने से अद्भुत लाभ होगा।
------(इत्यलम्)----
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