दीपावली के लिए कुछखास

दीपावली के लिए कुछखास-

यूँ तो आप दीपावली को साफ-सफाई करके, अपने घर-द्वार को दीपमालिका, मोमबत्तियाँ,विजली के झालरों आदि से मनोनुकूल सजाते ही हैं। सामान्य या विशेष रुप से लक्ष्मी-गणेश की पूजा भी करते हैं,इस आकांक्षा से कि सुख-शान्ति-समृद्धि का आगमन हो।विशेष कर धनाकांक्षा ही होती है। धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष- में अर्थ ही प्रधान हो गया है।अनिवार्यता पहले भी थी,किन्तु आजकल प्रधानता उसे ही दी जारही है।हम नहीं जानते,या जानने की कोशिश नहीं करते कि धन से बहुत कुछ पाया जा सकता हैं,परन्तु सबकुछ नहीं।शरीर के तल पर मिलने वाला सुख धन से पाया जा सकता है,किन्तु मन के तल पर मिलने वाली शान्ति धन से मिल ही जाये- विलकुल आवश्यक नहीं है;और आत्मा के तल पर मिलने वाले आनन्द को तो धन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है।फिर भी धन के पीछे भाग-दौड़ जारी है।धनागम हेतु लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा करने की परम्परा है।यानी धन के साथ वुद्धि भी प्राप्त हो,ताकि धन का सदुपयोग किया जासके।वुद्धिहीनता की स्थिति में धन का दुरुपयोग ही हो सकता है,सदुपयोग कदापि नहीं।प्रायः हम "उलूकवाहन लक्ष्मी" को आहूत करते हैं,और बेचारा उल्लू क्या करें वह तो सिर्फ अन्धकार(अज्ञान) में ही देख समझ-सकता है न।अतः उचित है कि धनाकांक्षी "पद्मासनालक्ष्मी"की आराधना करें।साथ ही दक्षिण गणेश हों,न कि वाम।

सात्त्विक आहार-विहार वालों के लिए एक और स्वानुभूत उपाय सुझा रहा हूँ।मूलतः यह तान्त्रिक विधि है;किन्तु सामान्य जन भी,विशेष क्रिया-रहस्य को समझे-जाने बगैर भी सात्विक भाव से इसे साध सकते हैं।यह साधना है- श्री गोपालसहस्रनामस्तोत्र(सन्तानगोपालस्तोत्र नहीं)।दीपावली की पूजा सम्पन्न करने के पश्चात् इस स्तोत्र का एक-चार-आठ-सोलह-बत्तीश(यानी चार के गुणक में)यथाशक्ति पाठ करें।अष्टोत्तरशत पाठ का अपना अलग महत्व है।घर के सभी सदस्य सामूहिक रुप से भी इस पाठ को कर सकते हैं।यूँ तो कभी भी सुविधानुसार किया जा सकता है,किन्तु रात्रि के द्वितीय प्रहर से पाठ प्रारम्भ करने का विशेष महत्त्व है।हो सके तो उस समय से प्रारम्भ कर, पूरी रात  जारी रख सकते हैं।सुविधानुसार बीच-बीच में विश्राम भी लिया जा सकता है। आमावश्या को इस क्रिया को प्रारम्भ करने के बाद, आगे नियमित क्रार्यक्रम में भी शामिल किया जा सकता है- कम-से कम एक या चार पाठ मात्र करते हुए।इस साधना से मन्थर गति से,किन्तु अति स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।अस्तु।

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