धनत्रयोदशी(धनतेरस)

धनत्रयोदशी(धनतेरस)
धन की आकांक्षा किसे नहीं है।धनोपार्जन के लिए लोग तरह-तरह के कर्म-कुकर्म करते रहते हैं।बाजार में धनदायक- महालक्ष्मी यन्त्र,श्रीयन्त्र,धनदा लक्ष्मीयन्त्र,वैभवलक्ष्मीयन्त्र,अष्टलक्ष्मीयन्त्र आदि अनेक यन्त्र उपलब्ध हैं, जिन्हें पूर्ण जानकारी के अभाव में लोग प्रायः खरीद कर घर लाते हैं, और पूजा स्थान पर रख देते हैं,या शोकेश का हिस्सा बना देते हैं।सोचते हैं कि अब धन बरसने लगेगा,किन्तु ऐसा कुछ होता नहीं।बल्कि बहुत बार तो विपरीत प्रभाव भी नजर आता है।मधु और घी दोनों पुष्टकर चीजें हैं, किन्तु समान मात्रा में मिल कर विषवत कार्य करती हैं।कथन का अभिप्राय यह है कि अच्छी चीजें भी गलत तरीके से उपयोग करने पर सिर्फ हमें लाभ से ही वंचित नहीं करती,बल्कि हानि भी हो जाती है।
यहाँ एक बात मैं स्पष्ट कर दूँ कि इनमें अधिकांश यन्त्र सात्त्विक विधा के हैं,राजसिक और तामसिक विधा वाले यन्त्र भी विभिन्न उद्देश्यों के लिए होते हैं।उनकी क्रिया और प्रयोग विधि विलकुल भिन्न है।आप इसे यों समझें कि किसी परम वैष्णव को बलात् उठाकर बूचरखाने या शराबखाने में बैठा देंगे तो वह आपको आशीष देगा या अभिशाप? कुछ ऐसी ही बात होती है,जब किसी तामसिक वातावरण(मांसाहारी परिवार)में ले जाकर श्रीयन्त्र की स्थापना कर दी जाती है।सीधी सी बात है- अलग-अलग आहार-विहार वाले लोगों के लिए यन्त्र,मन्त्र,तन्त्र और उपासना भी भिन्न है।वस्तुतः यह कोई "जनतन्त्र" नहीं है,जो सबको समानाधिकार देदे।
आइये एक अद्भुत प्रयोग सुझाते हैं।बहुतों ने इससे लाभ उठाया है।हो सके तो इसे प्रयोग में लायें और लाभान्वित हों।मैं यहाँ एक,त्रिदिवसीय क्रिया-निर्देश कर रहा हूँ।इसबार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी-२१अक्टूबर,मंगलवार को धनतेरस है,और २३अक्टूबर,गुरुवार को दीपावली- लक्ष्मी की उपासना का दिन।इस बार कुछ नये अंदाज में लक्ष्मी को आहूत करें।पहले सामग्री जुटा लें।अन्य पूजन-सामग्री तो वही है,जो किसी पूजा में होती है।इसके लिए जो कुछ विशेष है,उसे बता रहा हूँ-
सामग्री-1.शुद्धतांबें/पीतल वाला(सुन्दर गोल्डन दीखने वाला टीन नहीं)बड़े आकार में(९×९ईंच)वाला श्रीयन्त्र,कुबेरयन्त्र और व्यापारवृद्धियन्त्र।२.पीले रंग का साटन या रेशमी वस्त्र एक मीटर, ३.धान का लावा(मूढ़ी नहीं),अन्य प्रसाद और फल, ४.कालातिल-ढाई किलो,अरवा चावल-सवाकिलो,जौ-साढें सात सौग्राम,गूड़-चारसौग्राम,घी-पांचसौग्राम,धूना-पचासग्राम,गूगल-पचासग्राम, धूप,कपूर आदि, ५.मिट्टी की कड़ाही या पीतल की गहरी थाली(हवन हेतु)(आजकल लोहे के कुण्ड का फैशन है-इसे कदापि उपयोग न करें किसी प्रकार के हवन में), ६.तांबे या पीतल की वड़ी थाली(छोटा परात)-एक, ७.कमलगट्टा या रुद्राक्ष की माला(ग्रन्थिवाला)।
क्रियाविधि- मंगलवार को संध्या सात बजे(वृषलग्न में)पूजा प्रारम्भ करें। पूर्वांगिक क्रियायें सम्पन्न करने के पश्चात् संकल्प करें- ऊँ अद्येत्यादि.... स्थिर लक्ष्मी कामनया श्रीयादियन्त्रत्रयस्थापनपूजनमऽहंकरिष्ये।
अब सामने रखे परात में वस्त्रविछा कर आगे दिये गये चित्रानुसार तीनों यंत्रों को बारी-बारी से पंचसंस्कार करके रख दें,और स्थापनविनियोगादि करके प्राणप्रतिष्ठामन्त्रविधान सम्पन्न करें।(संक्षिप्त विधान किसी भी पूजापद्धति में उपलब्ध है।)अब षोडशोपचार पूजन करें-पहले व्यापारवृद्धियन्त्र का,फिर कुबेर यन्त्र का और अन्त में श्रीयन्त्र का।तीनों यन्त्रों की पूजा सम्पन्न होजाने के बाद यन्त्रगायत्री,महालक्ष्मीमन्त्र,गणेशमंत्र,कुबेरमंत्रों का एक-एकहजार जप करें।अब अग्निस्थापन विधि से स्थापनपूजन करके, पत्नी या किसी अन्य के सहयोग से उक्त जपे गये मन्त्रों से अष्टोत्तरशत आहुतियाँ प्रदान करें। तदुपरान्त श्रीसूक्त का सोलह पाठ करें।पाठ के साथ ही साथ सहयोगी प्रत्येक मन्त्र पर आहुति डालता जाय।पाठ और आहुति पूरा होने के बाद,आरती करें। इस प्रकार प्रथम दिन की क्रिया सम्पन्न हुयी।
अगले दो दिन सिर्फ यन्त्रस्थापनविधान नहीं करना है,शेष सारी क्रियायें पूर्वदिन की तरह ही होंगी।अब आपका अनुष्ठान पूरा हुआ।यथाशक्ति कुछ दक्षिणा संकल्प करें,साथ ही दो ब्रह्मण और तीन भिक्षुक को भोजन करावेँ (तत्काल यह सम्भव न हो तो अगले दिन भी कर सकते हैं।
अगली सुबह(का.शु.प्रतिपदा)सामान्य पंचोपचार पूजन करके यन्त्रों को स्थायी स्थान पर रख दें,और नित्य सामान्य पंचोपचार पूजन करते रहें।प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विशेष पूजा-हवन अवश्य कर दिया करें,ताकि यन्त्र जागृत रहे।सुविधा के लिए इन यंत्रों को फ्रेम में डाला जासकता है,किन्तु फ्रेमिंग के लिए दुकान में यन्त्र को न लेजायें,बल्कि उचित आकार का फ्रेम बनवा ले, और स्वयं से उसमें जड़ लें।
नोटः-1.पीले या लाल कपड़े का एक ऐसा टकड़ा रखे जिससे पूजा के बाद (विशेषकर रात्रि में)यन्त्र को ढका जा सके,तथा एक छोटा टुकड़ा यन्त्र पोंछने के लिए भी रखना चाहिए।अस्तु।


2.For further information or any other question you may contact:-  guruji.vastu@gmail.com or Mb.08986286163 at 7 to 8 am & pm.



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